10 लाख गबन करने के लिए स्टाफ ने ही रची थी साजिश, पांच गिरफ्तार
लाखों नकद और लैपटॉप लूटने के मामले का पटना पुलिस ने खुलासा कर दिया
संवाददाता, पटना कंकड़बाग थाने के ओल्ड बाइपास पर ग्रेविटी मॉल के पास 10 जुलाई को बालाजी एग्रोटेक के फील्ड स्टाफ रोहित कुमार मिश्रा को चाकू मार कर घायल कर लाखों नकद और लैपटॉप लूटने के मामले का पटना पुलिस ने खुलासा कर दिया. कंपनी के 10 लाख रुपये गबन करने के लिए लूट की सारी योजना दानापुर के आसोपुर निवासी स्टाफ रोहित कुमार मिश्रा ने ही साथियों से मिल कर बनायी थी. रोहित के अलावा इसमें शामिल दीघा बांस कोठी के लालू कुमार, शाहपुर मुबारकपुर के राजेश कुमार, दुल्हिनबाजार भरतपुरा के गुड्डू कुमार व खगौल लेखानगर के राहुल कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन लोगों के पास से लूट के 10 लाख रुपये, पांच मोबाइल फोन, दो बाइक, एक बलेनो कार और घटना के समय बदमाशों द्वारा पहने गये ब्लू और पीले रंग की टीशर्ट को बरामद कर लिया गया है. बरामद एक एवेंजर बाइक वादी और स्टाफ रोहित कुमार और दूसरी अपाची बाइक राजेश कुमार की है. लूट के ढाई-ढाई लाख रुपये गुड्डू और बालाजी एग्रोटेक के फील्ड स्टाफ के रूप में रोहित कुमार काफी दिनों से काम कर रहा है. वह फील्ड से कंपनी का पैसा वसूलता था. वह तीन-चार माह से ही कंपनी के पैसे का गबन करने के लिए लूट की योजना बना रहा था. इसके लिए उसने राजेश, लालू व अन्य को साथ लिया. 10 जुलाई को रोहित कंपनी के करीब 10 लाख रुपये लेकर राजेंद्रनगर टर्मिनल से निकला. उसके पीछे से ही लालू व राजेश आये और ग्रेविटी मॉल के सामने 10 लाख रुपये व लैपटॉप का बैग लूट कर भाग गये. लेकिन, रोहित ने वहां से कंकड़बाग थाना पहुंच कर लैपटॉप और 3.30 लाख रुपये की ही लूट होने की जानकारी दी. कहा कि घटना को अपाची सवार बदमाशों ने अंजाम दिया है. साथ ही उसने फटे हुए कपड़े को दिखाया और बताया कि उन लोगों ने चाकू से हमला भी किया, जिसमें वह घायल हो गये.राहुल के पास से मिले, जबकि पांच लाख रुपये राजेश कुमार के पास से बरामद किये गये. मोबाइल फोन सीडीआर, लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा : स्टाफ रोहित ने लूट की पूरी फुलप्रूफ योजना बनायी. लेकिन मोबाइल फोन के लोकेशन व सीडीआर और सीसीटीवी फुटेज के कारण उसकी चालाकी पकड़ी गयी. पुलिस ने उसके मोबाइल फोन की सीडीआर निकाली तो पता चला कि उसकी राजेश से घटना से पहले और उसके बाद लंबी बातचीत हुई. साथ ही पुलिस ने कंपनी के अधिकारियों से बात की, तो यह जानकारी मिली कि 10 लाख रुपये थे. इसके बाद पुलिस को शंका हुई कि रुपये जब 10 लाख थे, तो उसने प्राथमिकी में केवल 3.30 लाख का ही जिक्र क्यों किया.
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