बिहार पुलिस के SCRB कार्यालय में अब तक कोई कोरोना संक्रमित नहीं, UV लैंप और फॉगिंग ने दिखाया कमाल, जानें कैसे करता है काम
पुलिस विभाग के स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) की पहल काम आयी है. कोरोना काल के दौरान एससीआरबी के कार्यालय में लगातार छह माह तक अल्ट्रा वाइलेट लैंप यानी यूवी लैंप के उपयोग और सोडियम हाइपोक्लोराइड की फॉगिंग के बाद यह परिणाम सामने आया है कि इस दौरान कार्यालय में काम करते वक्त कोई भी पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है. साथ ही यूवी लैंप से बने एक बॉक्स का उपयोग भी फाइलों को डिसइंफेक्ट करने के लिए किया जा रहा है. यूवी लैंप के अलावा एससीआरबी ब्रांच में सोडियम हाइपोक्लोराइट की एक विशेष मशीन के माध्यम से फॉगिंग भी करायी जाती है. यह कोरोना वायरस को सक्रिय नहीं होने देता है. गौरतलब है कि एससीआरबी ब्रांच में 60 से 70 कर्मचारी काम करते हैं. लॉकडाउन में 50% मैनपॉवर से काम हो रहा है.
अनिकेत त्रिवेदी, पटना : पुलिस विभाग के स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) की पहल काम आयी है. कोरोना काल के दौरान एससीआरबी के कार्यालय में लगातार छह माह तक अल्ट्रा वाइलेट लैंप यानी यूवी लैंप के उपयोग और सोडियम हाइपोक्लोराइड की फॉगिंग के बाद यह परिणाम सामने आया है कि इस दौरान कार्यालय में काम करते वक्त कोई भी पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है. साथ ही यूवी लैंप से बने एक बॉक्स का उपयोग भी फाइलों को डिसइंफेक्ट करने के लिए किया जा रहा है. यूवी लैंप के अलावा एससीआरबी ब्रांच में सोडियम हाइपोक्लोराइट की एक विशेष मशीन के माध्यम से फॉगिंग भी करायी जाती है. यह कोरोना वायरस को सक्रिय नहीं होने देता है. गौरतलब है कि एससीआरबी ब्रांच में 60 से 70 कर्मचारी काम करते हैं. लॉकडाउन में 50% मैनपॉवर से काम हो रहा है.
सात दिनों तक रहता है यूवी लैंप का प्रभाव :
यूवी लैंप व बॉक्स अल्ट्रा वायलेट किरणों के माध्यम से काम करता है. बंद कमरे में जला कर 30 मिनट छोड़ दिया जाता है. 30 मिनट के बाद लैंप बंद हो जाता है. दस मिनट तक कमरा बंद रखना होता है. फिर कमरे का उपयोग होता है. इस प्रोसेस से 99% तक बैक्टीरिया व वायरस खत्म हो जाते हैं और कमरे में इसका प्रभाव लगभग सात दिनों तक रहता है.
यूवी लैंप का बनाया बॉक्स
एससीआरबी ने अपने स्तर पर यूवी लैंप को थोड़ा परिवर्तित कर यूवी लैंप का बॉक्स भी बनाया है. चूंकि एससीआरबी में फाइलों की संख्या अधिक होती है. डेटा काम भी अधिक रहता है. ऐसे में फाइलों के आदान-प्रदान से कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहा है. यूवी बॉक्स में भी कुछ समय फाइलों को रखा जाता है. जिससे फाइलें डिसइंफेक्ट हो जाती हैं.
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खरतनाक हैं अल्ट्रा वायलेट किरणें
यूवी लैंप या बॉक्स के उपयोग में बड़ी सावधानी की जरूरत होती है. अल्ट्रा वायलेट किरणें शरीर पर सीधे पड़ती हैं, तो कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. एेसे में उपयोग के समय दी गयी सावधानियां मसलन लैंप जलने की अवस्था में उससे दूरी, बॉक्स के उपयोग के समय ग्लब्स आदि का उपयोग बहुत जरूरी है. आमतौर पर बड़े अस्पतालों के ऑपरेशन थियेटर में इसका उपयोग होता रहा है. मगर, कोरोना के दौरान बिहार पुलिस की एससीआरबी ब्रांच के अलावा दिल्ली सचिवालय और दिल्ली में एसबीआइ के मुख्य ब्रांच में उपयोग हो रहा है.
और खरीदे जायेंगे उपकरण
यूवी लैंप व सोडियम हाइपोक्लोराइट फॉगिंग का असर बीते छह माह के दौरान देखा गया है. इससे कार्यालय में एक भी कर्मी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है. कमरा व फाइलों को डिसइंफेक्ट करने के लिए इसका काफी अच्छा रिस्पांस है. पुलिस विभाग में अन्य कार्यालयों के लिए इसकी खरीद की योजना चल रही है.
– केके सिंह, एडीजी, एससीआरबी व आधुनिकीकरण
POSTED BY: Thakur Shaktilochan