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राज्य जीएसटी ट्रिब्यूनल अब तक गठित नहीं, हजारों मामले लंबित

गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हुए लगभग सात साल हो गये हैं.इन सात वर्षों में जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया जा सका. इस कारण से कारोबारियों और व्यापारियों को जीएसटी संबंधित विवाद के निबटारे के लिए हाइकोर्ट के शरण में जाना पड़ता है.

: कारोबारियों और व्यापारियों को हो रही है परेशानी, विवाद निबटारे के लिए हाइकोर्ट में जाना पड़ता है कईं वर्षों तक फैसले नहीं होने से कारोबारियों की पूंजी फंसी रहती है संवाददाता,पटना गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हुए लगभग सात साल हो गये हैं.इन सात वर्षों में जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया जा सका. इस कारण से कारोबारियों और व्यापारियों को जीएसटी संबंधित विवाद के निबटारे के लिए हाइकोर्ट के शरण में जाना पड़ता है. लेकिन वहां भी केवल अंतरिम राहत के बाद जीएसटी ट्रिब्यूनल में जाने का आदेश दिया जाता है. कईं वर्षों तक फैसले नहीं होने से कारोबारियों की पूंजी फंसी रहती है. ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने से हजारों राजस्व से संबंधित मामले अभी लंबित हैं. हालांकि ,केंद्रीय जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित होने के बाद स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित होने की संभावना बढ़ गयी है. राज्य जीएसटी कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि बिहार में जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. क्या हो रही है परेशानी जीएसटी के तहत कारोबारी पर टैक्स व जुर्माना लगाने पर उसे अपील करने का अधिकार है.सर्कल के अधिकारियों के फैसले के विरुद्ध एडिशनल कमिश्नर और कमिश्नर के पास अपील की जाती है.यदि कारोबारी इन अधिकारियों के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं , तो वे ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं. राज्य जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने के कारण व्यापारियों को हाइकोर्ट में मामला में दर्ज करना पड़ता है. यह टाइम टेकिंग और खर्चीला प्रोसेस है. बिहार में स्थापित होगा जीएसटी ट्रिब्यूनल का एक बेंच जीएसटी ट्रिब्यूनल स्थापित होने से इससे जुड़े विवाद सुलझाने में तेजी आयेगी. केंद्र सरकार ने जीएसटी एपीलेट ट्रिब्यूनल स्थापित करने का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके अनुसार 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जीएसटी एपीलेट ट्रिब्यूनल की 31 राज्य पीठों की स्थापना की जायेगी.बिहार में ही एक पीठ स्थापित किया जायेगा.देश में सबसे अधिक ट्रिब्यूनल का बेंच उत्तर प्रदेश में स्थापित होना है. 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स पूरे भारत में लागू किया गया था, लेकिन शिकायतों के निबटारे के लिए कोई उचित एपीलेट मैकेनिज्म नहीं बना था.

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