पटना : वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए शिक्षा विभाग खासतौर पर समग्र शिक्षा अभियान के तहत सभी जरूरतों के लिए बजट तैयार करने की कवायद शुरू हो गयी है़ 20 मई को केंद्र के समक्ष यह बजट प्रस्तावित किया जायेगा़ चूंकि कोविड के विस्तार को रोकने लगाये गये लॉकडाउन के कारण राज्य की वित्तीय हालत कमजोर होने की वजह से राज्य इस बार शिक्षकों के पूरे वेतन की मांग केंद्र से करने जा रहा है़
अभी तक समग्र शिक्षा के तहत नियोजित शिक्षकों के वेतन में केंद्र और राज्य की जवाबदेही क्रमश: 60:40 के अनुपात में होती है़ प्रदेश में समग्र शिक्षा के तहत शिक्षकों की संख्या साढ़े तीन लाख से अधिक है. राज्य और केंद्र के बीच वेतन संबंधी मामलों में यह पहले से निर्धारित नियम है़ फिलहाल राज्य सरकार शिक्षकों के वेतन भुगतान के मामले में पूरी जवाबदेही केंद्र के पक्ष करने के हर संभव प्रयास करेगी़ वित्तीय वर्ष में चूंकि एक लाख से अधिक नियोजित शिक्षक की सैलरी का अतिरिक्त भार भी केंद्र को उठाना पड़ेगी़ इसलिए उसकी चिंताएं और बढ़ गयी हैं.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 में और 2018-19 में समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत क्रमश: 89 और 85 हजार कार्यरत शिक्षकों के वेतन की स्वीकृति की भी मांग करेगा़,इसका भुगतान राज्य सरकार ने खुद किया है़ हाल ही में प्रदेश के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान इन शिक्षकों के वेतन स्वीकृति की मांग 28 अप्रैल को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के साथ हुई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान की थी़
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शिवशंकर सिंह ने बताया कि बजट बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. इस बार हम पूरे वेतन की मांग केंद्र से करेंगे़ उल्लेखनीय है कि समग्र शिक्षा के तहत शिक्षक को सैद्धांतिक सैलरी प्राइमरी के लिए 15, मिडिल के लिए 20 हजार और सेकेंडरी के लिए 25 हजार रुपये तय है़ इस सैलरी का विभाजन केंद्र और राज्य के बीच 60:40 के अनुपात में किया जा रहा है़