शुभम कुमार, पटना: जिला प्रशासन के धावा दल अवैध वसूली व ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए लगातार जांच अभियान चला रहे हैं. लेकिन कुछ निजी अस्पताल सुधरने का नाम नहीं ले रहे. मरीजों की शिकायत पर शनिवार को प्रभात खबर ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि कुछ अस्पतालों में पुलिस-प्रशासन का कोई डर नहीं है. स्टिंग में अस्पताल प्रबंधकों ने कहा कि जब तक मनमानी राशि जमा नहीं होगी, मरीज को भर्ती नहीं किया जायेगा. उससे पहले मरीज को हाथ तक नहीं लगायेंगे. साथ ही हर दिन एक निर्धारित राशि जमा करनी होगी. यह राशि जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित राशि से काफी अधिक है.
कंकड़बाग थाना क्षेत्र के शालीमार स्वीट्स के बगल की गली में स्थित मेडिजोन अस्पताल है. गेट के ऊपर लिखा है प्रकाश हॉस्पिटल व मेडिजोन हॉस्पिटल. संवाददाता अस्पताल के अंदर घुसे, तो सामने रिसेप्शन पर एक महिला व पुरुष बैठे दिखे. संवाददाता ने काउंटर पर पहुंचते के साथ कहा कि मैडम मेरे मरीज पीएमसीएच में भर्ती है. वहां इलाज अच्छा नहीं हो रहा. सोच रहे हैं, यहीं भर्ती करवा दें. बेड खाली मिलेगा? तो रिस्पेश्निस्ट ने पहले मरीज का ऑक्सीजन लेवल पूछा. सामने रजिस्टर होते हुए भी किसी अभय नामक व्यक्ति से फोन लगा कर पूछताछ की. फिर दो मिनट बाद कहा कि भर्ती हो जायेगा. लेकिन हम साफ बोल देते हैं कि बायपास (ऑक्सीजन) हम नहीं दे पायेंगे.
संवाददाता ने कहा कोई बात नहीं ऑक्सिजन लेवल मरीज का सही है. मैडम ने कहा – मरीज को आप ले आइये और 30 हजार जमा कीजिए. 15 हजार रुपये डेली. जांच का पैसा अलग से. संवाददाता ने कहा कुछ कम कर देते मैडम. पहले तो 50 हजार रुपये लगता था, अब तो थोड़ा कम भी हुआ है. जल्दी लेकर आइए…मरीज भी पैसा भी. सबसे हैरत की बात यह थी कि जिस अस्पताल में कोविड का इलाज चल रहा है, वहां के रिसेप्शन पर बैठने वाली महिला ने मास्क तक नहीं लगाया हुआ था.
Also Read: बिहार सरकार ने बदला मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का तरीका, ई-मेल के जरिए घर बैठे कर सकेंगे हासिल, जानें प्रक्रिया
पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के बाइपास स्थित ईश्वर दयाल मेमोरियल हॉस्पिटल का रेट सुन तो अच्छे मरीज भी बीमार हो जायेंगे. यहां पर मरीज को भर्ती कराने के लिए एक दिन में करीब एक लाख रुपये जेब से ढीली करनी होगी. पिछले दिनों जिला प्रशासन ने शिकायत के बाद इस अस्पताल की जांच भी की है. संवाददाता ने रिसेप्शन पर बैठी महिला से पूछा कि कोविड मरीज भर्ती कराना है, तो मैडम का जवाब था- 50 हजार रुपये लगेंगे. वेंटिलेटर का चार्ज अलग से. लैब और मेडिसिन का चार्ज अलग से. यही नहीं एक दिन का बेड चार्ज है 30 से 40 हजार रुपये.
ईश्वर दयाल हॉस्पिटल के बाहर एक बुजुर्ग जो कि अपने किसी रिश्तेदार को भर्ती करवाये हुए हैं. उन्होंने बताया कि हर दो से तीन घंटे में काउंटर पर पैसा जमा करना पड़ रहा है. बेटा गया है, उसके पास ही बिल है. मरीज की हालत ठीक है कि नहीं, पता करना मुश्किल है.
बिहार सरकार ने पिछले साल ही प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज से जुड़ी मनमानी को रोकने के लिए रेट तय किया था. बिहार के जिलों को तीन ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा था. ए श्रेणी में सिर्फ पटना, बी श्रेणी में भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, पूर्णिया जिले को वहीं सी में शेष अन्य जिलों को रखा था.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan