बिहार के इन खिलाड़ियों ने हासिल किया विश्व स्तर पर मुकाम, सीमित संसाधनों में भी मनवाया अपना लोहा
प्रभात खबर से बातचीत में कई खिलाड़ियों ने बताया कि अगर उन्हें सुविधाएं मिलें, तो बिहार के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन कर सकते हैं और ओलंपिक में भी हमारी भागीदारी बढ़ सकती है.
National Sports Day: आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. खेल दिवस के मौके पर हम बिहार के उन खिलाड़ियों से आपको रू-ब-रू करा रहे हैं, जो संसाधनों की कमी, खेल के मैदान का अभाव, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के बावजूद यहां खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा की चमक प्रदेश, देश व विदेशों में बिखेरी है. जोनल से लेकर प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. जिन्होंने बेहद कम व सीमित संसाधनों में अपने जज्बे व जुनून से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाम हासिल किए हैं.
1. ग्राउंड की हो व्यवस्था : आशुतोष कुमार सिंह
जेवलिन थ्रो में नेशनल पदक विजेता और कोच आशुतोष कुमार सिंह ने काफी संघर्ष के बाद एथलेटिक्स में अपनी पहचान बनायी. उन्होंने बताया कि मैंने जब खेलना शुरू किया तो सुविधाएं नहीं थी. गांव में किसी तरह प्रैक्टिस करना शुरू किया. धीरे-धीरे मैं अच्छा करने लगा. सीनियर खिलाड़ियों को खेलते देख कर मैंने बहुत कुछ सीखा. उनकी गाइडलाइन में मैं आगे बढ़ता गया. जेवलिन थ्रो में राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 21 पदक जीत चुका हूं. खेल कोटा से सचिवालय में नौकरी मिली. वर्तमान में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण में बतौर कोच प्रतिनियुक्त हूं.
आशुतोष ने बताया कि खिलाड़ियों के लिए मैदान, एथलीट के लिए सिंथेटिक ग्राउंड, उपकरण उपलब्ध कराने की जरूरत है. अच्छे कोच के निर्देशन में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग मिलने पर वे ज्यादा से ज्यादा पदक जीत सकते हैं.
2. अच्छे कोच की है जरूरत : आकाश कुमार
तलवारबाजी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन करने वाले आकाश कुमार मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना के तहत दारोगा के पद पर नियुक्त हैं. एशियन गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले आकाश कुमार ने बताया कि संसाधनों के अभाव में कठिन मेहनत और संघर्ष की बदौलत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता. वर्ष 2017 में बैंकॉक आयोजित द्वितीय थाइलैंड ओपन तलवारबाजी प्रतियोगिता अंडर-16 फाइल स्पर्धा में कांस्य पदक, रूस में आयोजित ब्रिक्स गेम्स में कांस्य पदक जीता. शुरू में तीरंदाजी की प्रैक्टिस कर रहा था. फिर पटना में तलवारबाजी शुरू की. इसके बाद पुणे में ट्रेनिंग ली.
उन्होंने बताया कि बिहार में अच्छे कोच की काफी कमी है. इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. साथ खेलने के आधुनिक उपकरण खिलाड़ियों को मुहैया करायी जाये ताकि बिहार के ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत सकें.
3. खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिले : भोला सिंह
जहानाबाद के कल्पा के रहने वाले भोला सिंह बिना किसी की मदद के भारोत्तोलन में मुकाम हासिल किया. भोला सिंह ने बताया कि घर में खेल का माहौल नहीं था. पिताजी मामूली नौकरी करते हैं. इसके बावजूद मेरा हौसला कम नहीं हुआ. खेल में अपनी पहचान बनाने के लिए खूब मेहनत की. नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कुल 276 किलो भार उठा कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया. खेल कोटा से भोला सिंह ने नौकरी हासिल की. वर्तमान में पटना में रह कर वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर रहे हैं.
भोला सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से खिलाड़ियों को सुविधाएं मिल रही है. लेकिन अब भी ग्राउंड लेवल पर काम करने की जरूरत है. खिलाड़ियों के लिए बेहतर कोचिंग उपलब्ध कराने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि बिहार की खेल प्रतिभाओं को और निखारने की जरूरत है.
4. सिंथेटिक कोर्ट व बॉल फीडिंग मशीन की जरूरत : कार्तिकेय आगासी
राजधानी के बेउर निवासी टेनिस खिलाड़ी कार्तिकेय आगासी कड़ी मेहनत की बदौलत भारतीय टेनिस में अच्छी रैंकिंग हासिल की है. आगासी ने बताया कि ऑल इंडिया अंडर-16 ब्वॉज सिंगल में 18वां रैंक हासिल किया था. जालंधर में आयोजित अंडर-16 एशियन चैंपियनशिप की डबल्स स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. वहीं, ग्वालियर में आयोजित एशियन चैंपियनशिप के एकल में उपविजेता रहा. उसने बताया कि टेनिस में बहुत कॉम्पीटीशन है. इस खेल आधुनिक संसाधनों की बहुत जरूरत होती है. जबकि बिहार में नहीं है. खिलाड़ियों को अपने खर्च पर प्रतियोगिता में खेलने जाना पड़ता है. संसाधनों के अभाव में प्रतिभा रहने के बावजूद हम लोग राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पिछड़ जाते हैं.
आगासी ने बताया कि खेलना शुरू किया तो लोगों ने कहा कि इसमें कोई स्कोप नहीं है. आसपास के लोग ताना मारते थे. बिहार में न तो सिंथेटिक कोर्ट है और न ही बॉल फीडिंग मशीन है. सरकार इसकी व्यवस्था कर दे तो बिहार के टेनिस खिलाड़ी डेविस कप के लिए भारतीय टीम में चयनित हो सकते हैं. इसके अलावा बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीत सकते हैं.
5. इक्विपमेंट और कोच की हो व्यवस्था : राहुल कुमार
पटना के सिपारा के रहने वाले बॉक्सिंग खिलाड़ी राहुल कुमार घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के बावजूद अपने जज्बे को कम नहीं होने दिया. कम समय ही राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत कर राज्य का नाम रोशन किया. राहुल कुमार ने बताया कि वर्ष 2023 में भोपाल में आयोजित स्कूल नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीता. अंडर-19 फेडरेशन कप में रजत पदक और खेलो इंडिया में कांस्य पदक जीता.
राहुल ने बताया कि शुरू में घर के लोगों से सपोर्ट नहीं मिल रहा था. घर वाले कहते थे पढ़ोगे तो नौकरी मिलेगी. खेलने से क्या मिलेगा. इसके बावजूद खेलना जारी रखा. पदक जीतने पर परिवार के लोगों ने सपोर्ट करना शुरू किया. उसने बताया कि बिहार के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है. उनकी प्रतिभाओं को निखारने की जरूरत है. बिहार में बॉक्सिंग के आधुनिक इक्विपमेंट नहीं हैं. कोच की भी व्यवस्था नहीं है. सरकार कोच और इक्विपमेंट की व्यवस्था कर दे तो बिहार के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा पदक जीत कर राज्य का परचम लहरा सकते हैं.
इसे भी देखें: पटना के पुनपुन में बड़ा हादसा