Bihar Bridge Audit: बिहार के ग्रामीण इलाकों में हाल के दिनों में पुलों के गिरने की घटनाओं को देखकर उन्हें बेहतर बनाने के लिए सभी ग्रामीण पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट होगी. इसका मकसद जानमाल की सुरक्षा सहित आवागमन बेहतर तरीके से जारी रखना है. स्ट्रक्चरल ऑडिट के माध्यम से सभी पुलों की विस्तार से जानकारी जुटाई जायेगी.
ऑडिट में क्या होगा
इसमें यह जानकारी शामिल होगी कि किस पुल से कितनी आबादी जुड़ी है? कितने वाहनों का प्रतिदिन आवागमन होता है? पुल की क्षमता कितने और किस तरह के वाहनों के वजन का उठाने की है? पुल से होकर किस तरह के वाहन गुजरते हैं? पुल का निर्माण कब हुआ था? पुल की अनुमानित आयु कितनी है? इसमें कब-कब मरम्मत हुआ? अब किस पुल को कब मरम्मत की जरूरत है या कौन-से पुराने पुल की जगह नया पुल बनाने की जरूरत है?
बहुत जल्द होगी ऑडिट की शुरुआत
सूत्रों के अनुसार राज्य में स्ट्रक्चरल ऑडिट की तैयारी ग्रामीण कार्य विभाग कर रहा है और इसकी शुरुआत बहुत जल्द होगी. इसके लिए स्थानीय स्तर पर विभागीय अभियंताओं और अधिकारियों की तैनाती होगी. साथ ही विभागीय ऐप के माध्यम से इसके आंकड़ों को प्रतिदिन भेजा जायेगा. इसकी मुख्यालय स्तर से मॉनीटरिंग होगी. सभी आंकड़े इकट्ठा होने के बाद इसकी दोबारा जांच की भी व्यवस्था की जायेगी. इसके बाद आंकड़ों के आधार पर पुलों को अलग-अलग श्रेणी में बांटा जायेगा. इसमें जिन पुलों को मरम्मत करने या पुराने पुलों की आयुसीमा खत्म होने पर नये पुल बनाने की जरूरत होगी, उन पर तुरंत काम शुरू होगा.
ठेकेदारों और अभियंताओं पर बढ़ेगी सख्ती
ग्रामीण इलाके के पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट की समीक्षा और इसके बाद पुलों की मरम्मत व नये पुलों का निर्माण करने की शुरुआत के साथ ही ठेकेदारों और संबंधित अभियंताओं पर सख्ती बढ़ेगी. इस संबंध में भी विभाग बेहतर उपाय तलाश रहा है. इसके तहत फिर कभी पुल गिरने जैसा हादसा होने पर संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी. इसमें जुर्माने के तौर पर मरम्मत या नये पुल के निर्माण का खर्च ठेकेदार को वहन करना पड़ सकता है. गौरतलब है कि पिछले दिनों अररिया जिले में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था. इसके साथ ही सीवान जिले के दरौंदा में भी एक छोटे पुल को गिरने की सूचना है.
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