पटना में BSSC कार्यालय के गेट पर छात्रों का आंदोलन, प्रथम इंटर स्तरीय बहाली में सभी सीटों को भरने की मांग
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय छात्र एकता मंच के अध्यक्ष छात्र नेता दिलीप कुमार ने बताया कि आंदोलन की एक प्रमुख मांग तृतीय स्नातक स्तरीय बहाली में भूल सुधार हेतु एडिट का ऑप्शन देने की थी जिसे आयोग ने आंदोलन से एक दिन पहले ही मान लिया.
पटना में एक बार फिर काउंसिलिंग करवा चुके बीएसएससी अभ्यर्थियों ने आयोग के गेट पर चार घंटे तक 2014 में आयी प्रथम इंटर स्तरीय बहाली में सभी सीटों को भरने की मांग को लेकर आंदोलन किया. आंदोलन में प्रथम इंटर स्तरीय में काउंसिलिंग करवा चुके 1778 अभ्यर्थियों के साथ न्याय करने एवं फिजिकल में मौका देने, सभी 13120 सीटों को भरने, वेटिंग लिस्ट जारी करने तथा अगर जरूरत पड़े तो काउंसिलिंग के लिए द्वितीय सूची जारी करने की मांगें प्रमुख थी.
एडिट का ऑप्शन देने की मांग को मान लिया गया
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय छात्र एकता मंच के अध्यक्ष छात्र नेता दिलीप कुमार ने बताया कि आंदोलन की एक प्रमुख मांग तृतीय स्नातक स्तरीय बहाली में भूल सुधार हेतु एडिट का ऑप्शन देने की थी जिसे आयोग ने आंदोलन से एक दिन पहले ही मान लिया. दिलीप कुमार ने बताया कि प्रथम इंटर स्तरीय बहाली में 13120 पदों पर बहाली होनी थी लेकिन 11329 अभ्यर्थियों का ही मेरिट लिस्ट जारी किया गया और लगभग दो हजार सीटें खाली है.
फिजिकल के लिए नहीं बुलाया गया
काउंसिलिंग करवा चुके 1778 अभ्यर्थियों को मेरिट से बाहर कर दिया गया जो इन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है. फिजिकल के लिए इन लोगों को बुलाया ही नहीं गया जबकि इन लोगों की पद प्राथमिकता फिजिकल वाले पद ही थे. पद प्राथमिकता के आधार पर काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया बल्कि मार्क्स के आधार पर बुलाया गया. इस कारण जिनका मार्क्स ज्यादा था उनको टाइपिंग और फिजिकल दोनों के लिए बुलाया गया जबकि इन लोगों की पद प्राथमिकता इन पदों के लिए था ही नहीं. इन लोगों की पद प्राथमिकता राजस्व कर्मचारी एवं पंचायत सचिव था और चयन भी इन्हीं पद पर हो गया. इस कारण फिजिकल और टाइपिंग वाले पद खाली रह गए.
650 सीटें खाली
फिजिकल के मात्र 40 सीटो के लिए मेरिट लिस्ट जारी हुआ जबकि लगभग 650 सीटें खाली ही रह गई. आठ वर्षों से हजारों अभ्यर्थी इस बहाली में लगे हुए हैं. हजारों ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनकी उम्र समाप्त हो गई और अब वे किसी भी सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म नहीं भर सकते. सीटें खाली हैं और इनको नौकरी ना मिले तो यह अन्याय होगा. इसलिए सभी सीटो को भरना चाहिए.
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आयोग के अध्यक्ष से बात करना चाहते थे छात्र
आंदोलनकारी छात्र आयोग के अध्यक्ष से बात करना चाहते थे. इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से मौजूद मजिस्ट्रेट ने पहल किया. लेकिन अध्यक्ष ने मिलने से मना कर दिया और लिखित में मांग देने के लिए कहा. अध्यक्ष का कहना था कि इन मांगो को पूरी करना इनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. अगर बिहार सरकार आदेश देगी तभी संभव है. इसलिए लिखित मांग को सरकार को भेजा जाएगा. अंततः छात्रों ने अपनी मांगो से संबंधित ज्ञापन दिया और शाम चार बजे आंदोलन समाप्त हुआ. दिलीप कुमार ने बताया कि दो दिन तक बीएसएससी के रूख का इंतजार किया जाएगा. उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी