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यूक्रेन से बिहार के सहरसा लौटे छात्रों ने बतायी आपबीती, बॉर्डर एरिया में फंसे हैं बड़ी संख्या में छात्र

वतन वापसी के बाद छात्रों में खुशी देखी गयी. इसी कड़ी में बिहार के सहरसा लौटे दो छात्र ने अपने वतन वापसी के बाद भारत सरकार के सराहनीय कदम की काफी तारीफ की है. छात्रों ने बताया कि भारत सरकार को शुक्रिया जो घर तक सुरक्षित पहुंचा दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2022 11:45 AM

यूक्रेन पर रूस के हमले के सातवें दिन बुधवार को हालात और बिगड़ गये. रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव व दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में हमला अचानक तेज कर दिया. सड़कों पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण जंग छिड़ी है. रूसी टैंक व बख्तरबंद वाहनों से दोनों शहर थर्रा उठा है. भारत के हजारों मेडिकल छात्र यूक्रेन में फंसे है. उनको निकालने के लिए भारत सरकार ने किसी तरह का कसर नहीं छोड़ा है. वतन वापसी के बाद छात्रों में खुशी देखी गयी. इसी कड़ी में बिहार के सहरसा लौटे दो छात्र ने अपने वतन वापसी के बाद भारत सरकार के सराहनीय कदम की काफी तारीफ की है. छात्रों ने बताया कि भारत सरकार को शुक्रिया जो घर तक सुरक्षित पहुंचा दिया.

सहरसा निवासी अश्वनी कुमार दिनकर इवानो फ्रेंकिव्स्क राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय यूक्रेन में चौथी वर्ष के छात्र थे. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में भारतीय एम्बेसी मजबूत नहीं है. भारतीय सरकार ने जो मदद शुरू किया उनको यह पहले शुरू करना चाहिए था. हालांकि वतन वापसी के बाद सहरसा लौटे अश्वनी कुमार दिनकर ने बताया कि यूक्रेन के बाद रोमानिया शहर में इतना सहायता भारतीय एंबेसी के द्वारा किया गया, जिसके विषय में जितना बताएं कम होगा. वैसे जिलाधिकारी सहरसा आनंद शर्मा ने बताया कि जो भी छात्र फंसे हुए है, उनकी व्यवस्था की जा रही है और जिले में 09 छात्र को फंसे होने की सूचना मिली थी, जिसमें कई छात्र आएं है और कई छात्र रास्ते में है, जिनको बिहार सरकार सभी सुविधा के साथ घर ला रही है.

यूक्रेन में रह रहे बिहार के 480 लोगों से किया गया संपर्क

आपदा प्रबंधन सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि अब तक यूक्रेन में रह रहे बिहार के 480 लोगों से संपर्क किया गया है. उधर, यूक्रेन से लौटेवाले छात्रों ने कहा कि राजधानी कीव और उसके आसपास के क्षेत्रों के साथ साथ यूक्रेन के बॉर्डर एरिया में भी बड़ी संख्या में छात्र फंसे हैं, जिन्हें वहां से एयरपोर्ट तक ले जाने के लिए बसें नहीं मिल रही हैं. रोमानिया बॉर्डर पर ही इन छात्रों को डेढ़ से दो हजार ऐसे भारतीय छात्र दिखें जो वहां से एयरपोर्ट जाने के लिए बस के इंतजार में खड़े थे. दो तीन घंटे पर एक-दो बसें आती थीं और उनमें केवल 50-100 छात्र निकल पाते थे.

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