Success Story: जब पिता का सपना किया पूरा तो… जानें बिहार की लेडी सिंघम IPS अधिकारी की दिलचस्प कहानी
Success Story: IPS स्वीटी सहरावत की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. IPS स्वीटी सहरावत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक कंपनी में कुछ दिनों तक बतौर डिजाइन इंजीनियर की नौकरी की. इसके बाद कैसे IPS अफसर बन गईं, आइए जानते है-
Success Story: पटना की लेडी सिंघम व 2020 बैच की बिहार कैडर की आईपीएस अधिकारी स्वीटी सहरावत ने अपने करियर की शुरुआत औरंगाबाद जिले में एएसपी (असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के रूप में की थी. स्वीटी सहरावत का एक सामान्य परिवार से हैं और उनके पिता दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे, जिनका 2013 में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था. उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी यूपीएससी पास कर अधिकारी बने. इस सपने को पूरा करते हुए स्वीटी ने वर्ष 2019 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 187वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बनने का गौरव प्राप्त किया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक कंपनी में कुछ दिनों तक बतौर डिजाइन इंजीनियर की नौकरी की. लेकिन पिता के सपने व कुछ और बड़ा करने की सोच ने स्वीटी को सिविल सेवा में आने के लिए प्रेरित किया. पेश है स्वीटी सहरावत से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
Q. आपकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि एक इंजीनियर की है. सिविल सेवा में कैसे आना हुआ, इस एग्जाम को क्रैक करना कितना चुनौतीपूर्ण रहा?
Answer- मैंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बी टेक (इसीइ) किया है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक कंपनी में कुछ दिनों तक बतौर डिजाइन इंजीनियर के तौर पर नौकरी की. पर अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए प्रशासनिक सेवा को चुना. एक समय ऐसा आया जब अपनी नौकरी छोड़कर अपना पूरा ध्यान यूपीएससी पर फोकस कर दिया. परीक्षा को लेकर कड़ी मेहनत की और 2019 में मुझे 187वां रैंक प्राप्त हुआ. मेरा मानना है कि सकारात्मक सोच के साथ जब आप कोई योजना बनाते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलती है. नकारात्मक विचारों से बचना चाहते हैं, तो आत्मविश्वास बनाये रखना चाहिए. आत्मविश्वास से ही व्यक्ति के विचार सकारात्मक बनते हैं.
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Q. नौकरी छोड़ वापस से पढ़ना आसान नहीं होता है. ऐसे में आपने कैसे तैयारी की?
Answer- प्राइवेट सेक्टर में जब आप बेहतर पैकेज पर होते हैं, तो दूसरा कोई काम करना आसान नहीं होता. खासकर सिविल सर्विसेज की ओर बढ़ना. इसके लिए मैंने प्रॉपर प्लान किया और पैसों की बचत की, ताकि मेरी तैयारी के साथ खर्च आसानी से निकल जाये. इसमें मेरी मां का भरपूर सहयोग मिला. जिन्होंने मुझे इस क्षेत्र में आने की हिम्मत दी. तैयारी के दौरान कभी सफलता या असफलता का कोई पैमाना नहीं रखा. बिना किसी ब्रेक के रेगुलर पढ़ाई करती रही और कोशिश को जारी रखा. बस अपना 100%देने पर फोकस किया. इस सेवा में आने का मकसद समाज सेवा के साथ देश की सेवा करना है.
Q. बाहर के राज्यों में बिहार की एक अलग छवि है. ऐसे में जब आपकी पहली पोस्टिंग बिहार में हुई, तो आपने क्या अंतर पाया ?
Answer- बिहार को लेकर जो भी छवि है, वह इसके बिल्कुल उलट है. बिहार अब आगे बढ़ रहा है. जब पहली बार मैं बिहार आयी, तो लोगों का भरपूर सहयोग मिला. विभाग से लेकर कर्मचारी तक हर कोई टीम की तरह काम करता था. यहां रूरल एरिया की महिलाएं काफी ज्यादा वोकल हैं. यहां की महिलाएं अपनी बातों को प्रमुखता से रखती हैं. यह सब देखकर काफी अच्छा लगता है.
Q. महिला होते हुए फील्ड में कार्रवाई करते वक्त कभी डर महसूस नहीं हुआ ?
Answer- फील्ड में काम के दौरान मैंने कभी जेंडर को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी. प्रशिक्षण के दौरान किन परिस्थितियों में कैसे काम करना है, इन सभी के बारे में बताया जाता है. साथ ही पूरी फोर्स हमारे साथ खड़ी रहती है. हालांकि बचपन में एक बार भगदड़ में फंस गयी थी, जिसकी वजह से मैं भीड़ से दूरी बनाकर रखती थी, लेकिन यह डर फील्ड वर्क के साथ चला गया है. स्पेशल टास्क के दौरान रणनीति तय कर टीम के सदस्यों के साथ काम करना होता है, जिसमें समय-समय पर सीनियर ऑफिसर का सहयोग मिलता है.