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ऐसे थे बिहार के जवान, कोई अविवाहित ही हुआ शहीद, कोई मां-बाप के बुढ़ापे का था लाठी तो कोई…

भारत-चीन की सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में बिहार के पांच सपूतों ने सीमा की रक्षा करते हुए शहादत हासिल की. शहीद होनेवाले परिवारों ने अपना बेटा, पति, भाई या पिता खोया है. इन परिवारों के चिराग बुझ गये. पर उन्हें फख्र भी है कि उनके लाडले ने देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी. शहीद हुए एक सैन्यकर्मी के बुजुर्ग की पिता की ये बातें हौसला देती हैं कि उनका और बेटा होता, तो वे उसे भी सीमा पर भेजने में नहीं हिचकते.

पटना : भारत-चीन की सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में बिहार के पांच सपूतों ने सीमा की रक्षा करते हुए शहादत हासिल की. शहीद होनेवाले परिवारों ने अपना बेटा, पति, भाई या पिता खोया है. इन परिवारों के चिराग बुझ गये. पर उन्हें फख्र भी है कि उनके लाडले ने देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी. शहीद हुए एक सैन्यकर्मी के बुजुर्ग की पिता की ये बातें हौसला देती हैं कि उनका और बेटा होता, तो वे उसे भी सीमा पर भेजने में नहीं हिचकते. बहादुरी और शौर्य की गाथा गढ़ने वाले बिहार रेजिमेंट सहित दूसरे सैन्य बल के शहीद हुए जवानों के परिवारों के साथ आज पूरा देश खड़ा है. शहीद जवानों की यह कुर्बानी हमेशा याद रहेगी. उन्हें नमन!

भोजपुर के चंदन हुए शहीद 

भारत-चीन सीमा पर चंदन कुमार शहीद हो गये. वे भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड की कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव के थे, जो हृदयानंद सिंह व धर्मा देवी के सबसे छोटे पुत्र थे. चंदन कुमार जुलाई, 2017 मे बिहार रेजिमेंट के 16वीं कंपनी में भर्ती हुए . शहीद होने की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया. गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया है. इनके पिता हृदयानंद सिंह होमगार्ड के जवान है. शहीद जवान चार भाइयों व चार बहनों में सबसे छोटे थे. सभी भाई सेना में कार्यरत हैं. सबसे छोटे चंदन कुमार बिहार रेजिमेंट के 16वीं बिहार कंपनी में कार्यरत थे. इनकी चार बहनों ऊषा देवी,सरस्वती देवी,सुमित्रा देवी,जूली देवी सभी विवाहित हैं.

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लॉकडाउन के कारण बढ़ा दी गयी थी शादी की तिथि : चंदन कुमार की शादी एक मई होनेवाली थी. जगदीशपुर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव में राजमहल सिंह की पुत्री के साथ शादी तय हुई थी. तिलक 29 अप्रैल व शादी की तारीख एक मई तय थी. लेकिन कोरोना में लाॅकडाउन के चलते शादी की तारीख को दोनो परिवारो की सहमति से आगे बढ़ा दी गयी थी. चंदन कुमार नवंबर, 2019 में करीब एक माह की छुट्टी पर अपने गांव आये थे और 20 दिसंबर को वापस ड्यूटी पर लौट गये थे. चंदन कुमार की शहीद होने की सूचना बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे उनके बड़े भाई देवकुमार जो गंगानगर मे आर्मी के इएमइ में कार्यरत है उनके द्वारा पिता ह्रदयनंद सिंह के मोबाइल पर दी गयी कि भारत चीन सैनिकों के झड़प में गलवन घाटी के बार्डर पर देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये. बहादुर चंदन कुमार के शहीद होने की खबर सुनते ही गांव सहित आसपास के क्षेत्रों मे शोक की लहर दौड़ गयी है. चंदन कुमार की मां धर्मा देवी का रो रोकर बुरा हाल है.

शहीद सुनील की शहादत पर बिहटा के लोगों को गर्व

चीन बॉर्डर पर सोमवार को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सीमा पर तैनात लद्दाख गलवान घाटी में बिहटा के हवलदार सुनील कुमार शहीद होने की सूचना मिलते ही दानापुर के मैनपुरा स्थित उनके घर में परिजनों में कोहराम मच गया. उनके रिश्तेदार, दोस्त व आसपास के लोगों की भीड़ जुट गयी और पूरे गांव में मातम पसरा गया. शहीद सुनील बिहटा के तारानगर सिकरी गांव के मूल निवासी थे. उनके पिता 85 वर्षीय पिता बासुदेव साव एवं 75 वर्षीया मां तारानगर में ही रहते हैं. 15 दिन पहले पत्‍नी से फोन पर बातचीत की थी. दो भाई और बहन में सुनील सबसे छोटे थे. छोटे भाई सुनील के शहीद होने की सूचना पर बड़े भाई अनिल कुमार बेसुध हो गये. लोगों को आते देख शहीद की पत्‍नी रिंकू लोगों से पूछती रही की क्‍या हुआ. बाद में जानकारी लगते ही वह बेसुध हो गयी. उसका का रो-रो कर बुरा हाल था. भाई अनिल का घर में किसी तरह अपने को हिम्मत रखते हुए सभी को शांत रहने की बात करते रहे. बाहर निकलते ही फूट-फूटकर रोने लगे.

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शहीद अमन के पिता बोले- देश पर मर मिटने को ऐसे हजारों बेटे कुर्बान करने को तैयार

मोहिउद्दीननगर के सुल्तानपुर निवासी अमन कुमार चीनी सैनिकों से लड़ते हुए सीमा पर शहीद हो गये. मंगलवार की रात यह जानकारी सेना की ओर से अमन के पिता सुधीर कुमार सिंह को दी गयी. इसके बाद सुलतानपुर गांव में कोहराम मच गया. मंगलवार की रात से अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले. अमन के लिए हर किसी का हृदय रो रहा है और हर के मन में गुस्सा है. हर कोई इस जांबाज बेटे के जज्बे को सलाम कर रहा है. पिता सुधीर कुमार सिंह कहते हैं- मुझे बेटे की शहादत पर गर्व है. बिहार रेजिमेंट के जवान 27 साल के अमन पिछले तीन महीने से लद्दाख के गलवान घाटी में तैनात थे. सुधीर कुमार सिंह की चार संतानों में अमन तीसरे नंबर पर थे. बड़े भाई राहुल गांव में ही रहते हैं, जबकि बहन मौसम बिहार पुलिस में हैं. सबसे छोटा भाई रोहित पढ़ाई कर रहा है. अमन ने 2010 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी.

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2014 में बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. 2019 के फरवरी में उनकी शादी पटना जिले के राणा बिगहा गांव की मीनू के साथ हुई थी. अमन में शुरू से ही देशप्रेम का जज्बा था. उसने गांव के नौजवानों को देशहित के लिए बार-बार प्रेरित किया. लोग बताते हैं कि मां के प्रति उसका अगाध स्नेह था. वह मां से ही मांग कर खाना खाते थे. सेवानिवृत्त शिक्षक बालेश्वर सिंह बताते हैं कि अमन की मधुर वाणी पूरे गांव के लोगों को याद रहेगी. नमामि गंगे के जिला संयोजक एवं स्थानीय निवासी भाई रणधीर ने कहा कि अमन कुमार के चले जाने से युवा पीढ़ी को सही रास्ते पर ले जाने वाला युवक चला गया. बुधवार को सुधीर कुमार सिंह के दरवाजे पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. हर चेहरा गमगीन और दिल में चीन के प्रति गुस्सा साफ दिख रहा था. सुल्तानपुर और इसके आसपास के गांव के लोग शहीद के पिता को ढांढ़स बंधा रहे थे. मां रेणू देवी भी रो रही थी, लेकिन आंसू में देश के प्रति बलिदान का गर्व भी झलक रहा था.

पत्नी की आंसुओं को पोछते हुए भरे हुए गले से बोले- यदि हजार बेटे हों, तो देश के लिए शहादत देने को आगे आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि देश पर मर मिटने को ऐसे हजारों बेटे कुर्बान करने को तैयार हैं. वहीं, शहीद की पत्नी एवं उसके सास-ससुर दरवाजे पर रोते-रोते ढेर हो रहे थे. सभी के आंसुओं में गर्व झलक रहा था. मां रेणु देवी शहीद बेटे का बदला लेने के लिए बार-बार आवाज बुलंद कर रही थी. अमन की पत्नी मीनू देवी की आंखों से आंसू सूख चुके थे. बेजान मीनू भी पति के बलिदान को स्वीकार कर गर्व का अनुभव कर रही है.

शहीद के परिजनों ने कहा, चीन को ठोस जवाब देने की जरूरत

लद्दाख के गलवान घाटी में सोमवार की रात भारत व चीनी सेना के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गये. इसमें राज्य के बीरभूम जिले का एक जवान भी शामिल हैं. यह खबर जब शहीद जवान के गांव में पहुंची तो परिवार के लोग टूट गये. पूरे गांव में मातम पसर गया. परिवार के साथ गांव के लोगों के आंसू भी नहीं थम रहे थे. शहीद जवान राजेश ओरांव जिले के मोहम्मद बाजार थाने के बेलगढ़िया गांव के वाशिंदा थे. उसकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी. वर्ष 2015 में वह भारतीय सेना में शामिल हुए थे. शहीद जवान ले लद्दाख में अपनी ड्यूटी कर रहे थे. वे सितंबर, 2019 में घर बीरभूम आये थे.

ग्रामीण बोले- हमें  कुंदन की शहादत पर गर्व, लेकिन बदला ले भारत

सहरसा जिले के बिहरा थाना क्षेत्र के आरन गांव निवासी बिहार रेजिडेंट आर्मी जीडी के जवान कुंदन कुमार भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए हिंसक झड़प में शहीद हो गये. वीर जवान के शहीद होने की सूचना उसकी पत्नी बेबी देवी को कर्नल ने दूरभाष से दी. कर्नल ने फोन पर बताया कि आरन गांव निवासी भारतीय सेना के जवान कुंदन सैनिक मुठभेड़ में शहीद हो गये हैं. सूचना मिलते ही पत्नी फफक-फफक कर रो पड़ी. रोने की आवाज सुनकर सास सुदामा देवी, ससुर नीमेंद्र यादव सहित अन्य परिजन एवं ग्रामीणों की नींद खुली. देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ जमा होने लगी और यह सूचना एक घंटे के अंदर आग की तरह फैल गयी. सूचना मिलते ही बिहरा थानाध्यक्ष अरविंद कुमार मिश्रा पुलिस बल के साथ पहुंच कर परिजनों से जानकारी लेते ढांढ़स बंधाया.

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शहीद वीर जवान कुंदन कुमार को आर्मी में वर्ष 2012 में नौकरी मिली थी. पहली पोस्टिंग जम्मू में हुई थी. बीती 27 फरवरी को वह घर से छुट्टी मनाने के बाद ड्यूटी पर गया था. उसे भारत-चीन सीमा पर लद्दाख भेज दिया गया था. वर्ष 2013 के 11 जुलाई को कुंदन की शादी बड़े ही धूमधाम से मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड के इनरबा गांव में किसान परिवार बहादुर यादव की पुत्री बेबी कुमारी से हुई थी. शादी के बाद उन्होंने दो पुत्रों को जन्म दिया. पहला रौशन और दूसरा राणा. कुंदन ने वर्ष 2008 में हाईस्कूल सौरबाजार से मैट्रिक और वर्ष 2010 में आरपीएम इंटर कॉलेज मधेपुरा से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. बीए में एडमिशन के बाद आर्मी में नौकरी मिल गयी. कुंदन सहित उनके छह संबंधी सेना की नौकरी ज्वाइन का देश सेवा कर रहे हैं. कुंदन की शहादत पर ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर से कहा कि कुंदन की शहादत हमलोगों के लिए गर्व की बात है. लेकिन, इस शहादत का बदला भारत सरकार को चीन से जरूर लेनी चाहिए.

जय किशोर की शहादत पर परिजनों की आंखों में आंसू, चेहरे पर गर्व

लद्दाख की गलवन घाटी में 15 जून की रात चीनी सैनिकों की झड़प में वैशाली जिले का लाल भी शहीद हो गया. बुधवार को जंदाहा थाना क्षेत्र के चकफतेह गांव के कपूर सिंह के 21 वर्षीय पुत्र जयकिशोर सिंह की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया. परिजनों की चीत्कार सुन ग्रामीण भी शहीद के घर पर जुट गये. महनार विधायक उमेश सिंह कुशवाहा ने शहीद के घर पहुंच कर परिजनों को ढांढस बंधाया. अपने लाल की शहादत का गम लोगों की आंखों में साफ झलक रहा था. शहीद जय किशोर सिंह वर्ष 2018 में 12 बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. इनकी अभी शादी नहीं हुई थी. वे चार भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. उनके बड़े भाई नंद किशोर सिंह भी भारतीय सेना में हैं. वे 2012 में भर्ती हुए थे. छोटा भाई शिवम कुमार ने इस वर्ष इंटर परीक्षा उत्तीर्ण किया है जबकि सबसे छोटा भाई कौशल कुमार अभी नौवीं कक्षा का छात्र है. बड़ी बहन ममता की शादी कन्हौली विशनपुर में है.

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एक माह पूर्व परिजनों से हुई थी बात, किसान पिता को बेटे पर गर्व

एक माह पूर्व शहीद जवान की अपने परिजनों से बातचीत हुई थी. फोन पर उन्होंने बताया था कि वहां सबकुछ ठीक ठाक है और वे भी ठीक हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि अब उनसे बातचीत नहीं हो पायेगी, क्योंकि उनकी तैनाती शिखर पर हो गयी थी. इसी बीच बीते 15 जून की रात लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प में जयकिशोर समेत सेना के बीस जवान शहीद हो गये. शहीद जवान के पिता कपूर सिंह किसान हैं. उन्होंने बताया जय किशोर बीते 1 मार्च को छुट्टी में घर आये थे. छुट्टी के दौरान वे देवघर समेत कई धार्मिक स्थलों पर घूमने भी गये थे. होली के एक दिन पूर्व 9 मार्च को ड्यूटी पर वापस लौट गये थे. शहीद के पिता कपूर सिंह को अपने वीर लाल की शहादत पर गम के साथ-साथ गर्व भी है. वे कहते हैं कि अगर मौका मिला, तो वे अपने दोनों छोटे बेटों को भी देश की सेवा के लिए फौज में भेजेंगे.

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