दहेज हत्या के एक मामले सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. देश की शीर्ष अदालत ने बिहार डीजीपी और एचसी रजिस्ट्रार जनरल से पूछा है कि दहेज हत्या के आरोपी को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस को 21 साल क्यों लग गए. इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में भी जवाब देने को कहा है कि पटना हाईकोर्ट के फैसले को वेबसाइट पर अपलोड करने में 733 दिन का समय कैसे लग गया.
कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई जस्टिस एनवी रमन, सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने की. बेंच ने पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट सौंपने के लिए 28 अक्टूबर तक का समया दिया है. आरोपी बीएसएनएल का एक कर्मचारी है जिस पर फरवरी 1999 में दहेज के लिए अपनी पत्नी के हत्या करने का आरोप है.
टीओई के मुताबिक, बेंच ने पाया कि उसकी महिला की मृत्यु शादी के सात साल के भीतर हुई है. वहीं पीड़िता और उसके मायके वालों को लंबे वक्त तक लगातार दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया है. जस्टिस एनवी रमन की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आरोपों की गंभीरता के बावजूद, यह काफी चिंताजनक है कि आरोपी के खिलाफ पुलिस नो कोई एक्शन नहीं लिया.
घटना के 21 साल से अधिक समय बीत जाने और एफआईआर दर्ज करने के बाद, आरोपी को केवल इस साल 7 जून को गिरफ्तार किया गया. बेंच ने कहा कि उसकी जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया है, उसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की. तब आरोरी सप्रीम कोर्ट पहुंचा.
फरवरी 1999 में पीड़िता के भाई ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी बहन को बीएसएनएल के कर्मचारी बच्चा पांडे और उसके परिवार ने दहेज के लिए उसके ससुराल से निकाल दिया. समझौते के बाद वह पति के साथ रहने चली गई लेकिन एक दिन अचानक उसके अंतिम संस्कार के बाद उसके परिवार को उसकी मौत की सूचना दी गई.
लगभग 10 साल के बाद बिहार पुलिस ने दहेज हत्या के लिए आरोपी बच्चा पांडे सहित एफआईआर में नामजद आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत का दावा करते हुए आरोप पत्र दायर किया. पटना हाई कोर्ट ने पांडे को जमानत देने से इनकार कर दिया. वहीं पुलिस के अनुसार जांच में मृतका की आंत की में बहुत ही जहरीला पदार्थ पाया गया था।