बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, तांती-ततवा अनुसूचित जाति से बाहर, आरक्षण का लाभ भी होगा वापस

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में बिहार सरकार को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में तांती-ततवा जाति को अनुसूचित जाति की सूची से बाहर कर दिया है. कोर्ट ने अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए यह फैसला दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इन 9 सालों में तांती-तंतवा जाति के जिन लोगों को भी एससी कोटे के आरक्षण का लाभ मिला है, उन्हें ईबीसी कोटा में समायोजित किया जाए और इससे खाली होने वाली सीटों और पदों को एससी जाति के लोगों से भरा जाए

By Anand Shekhar | July 17, 2024 3:44 PM

Reservation In Bihar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 01 जुलाई 2015 को जारी संकल्प को रद्द करते हुए तांती-ततवा जाति को बिहार में अनुसूचित जाति की सूची से बाहर कर दिया है. ऐसे में बिहार के तांती-ततवा जाति के लोगों को अब अनुसूचित जाति (SC) का लाभ नहीं मिलेगा. वे अब EBC श्रेणी में ही रहेंगे और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को जो सुविधाएं मिलती हैं, वही सुविधाएं उन्हें भी मिलेंगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक बड़ा सवाल यह है कि तांती-ततवा जाति के उन सभी लोगों का क्या होगा जिन्हें SC श्रेणी में नौकरी मिली हुई है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य को एससी सूची में किसी जाति का नाम जोड़ने या हटाने का अधिकार नहीं है और ऐसा केवल संसद ही कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार के फैसले को संविधान के साथ शरारत बताते हुए अवैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि एससी सूची में किसी दूसरी जाति को जोड़ने से अनुसूचित जाति के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित होना पड़ता है. कोर्ट ने साफ कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राज्य को अनुसूचित जातियों की सूची से छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि जुलाई 2015 में बिहार सरकार द्वारा जारी किया गया संकल्प अवैध है. साथ ही यह संवैधानिक प्रावधानों के भी खिलाफ है. इसके लिए राज्य सरकार को माफ नहीं किया जा सकता, इसलिए तांती-ततवा जाति को एससी में शामिल करने का बिहार सरकार का संकल्प रद्द किया जाता है.

Also Read: भागलपुर में कहीं जमीन पर दरी बिछाकर, कहीं जर्जर झोपड़ियों में चल रहे स्वास्थ्य उपकेंद्र

आरक्षण के मिले लाभ अब होंगे वापस

डॉ. भीम राव अंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने बिहार सरकार को यह आदेश दिया. दरअसल, 01 जुलाई को बिहार सरकार ने एक संकल्प जारी कर तांती और तत्वा जातियों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग से हटा दिया था. इन्हें पान स्वासी के साथ क्रम संख्या-20 में अनुसूचित जाति में जोड़ दिया गया था. इस संकल्प के बाद तांती-तत्वा को भी अनुसूचित जाति (एससी) का प्रमाण पत्र जारी किया जाने लगा, जिसके आधार पर वे सरकारी नौकरी पाने में इसका लाभ उठाने लगे.

Also Read: औचक निरीक्षण में ऑफिस से गायब मिले 4 अधिकारी और 12 कर्मी, पटना डीएम ने सभी का रोका वेतन

पीठ ने अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें संशोधन या बदलाव संसद में कानून बनाकर ही किया जा सकता है. दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि तांती-ततवा जाति के जिन लोगों को इन 9 सालों में एससी कोटे में आरक्षण का लाभ मिला है, उन्हें ईबीसी कोटे में समायोजित किया जाए और इसके कारण खाली होने वाली सीटों और पदों को एससी जाति के लोगों से भरा जाए.

Next Article

Exit mobile version