पटना हाईकोर्ट के 7 जजों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. इन जजों का GPF (जनरल प्रॉविडेंट फंड) खाता बंद हो गया है. जिसके बाद इन जजों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस भेजा है. केंद्र व बिहार सरकार दोनों को नोटिस भेजा गया है. अब इस मामले में अगली तारीख भी तय कर दी है. सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह शुक्रवार को अब इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जब मामला सीजेआई (Chief Justice) के सामने रखा गया तो वो भी आश्चर्य में पड़ गए. उन्होंने कहा, क्या? जजों का जीपीएफ खाता बंद हो गया? याचिकाकर्ता कौन है? इसे शुक्रवार (24 फरवरी) को लिस्ट किया जाता है. मामले में याचिका जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह और जस्टिस चंद्र शेखर झा ने संयुक्त रुप ये दायर की है. कोर्ट में उनकी पैरवी अधिवक्ता प्रेम प्रकाश कर रहे हैं.
देश के इतिहास में यह पहली ऐसी घटना होगी, जब किसी हाईकोर्ट के सात जज एक साथ न्याय की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. सभी जजों ने सुप्रीम कोर्ट में सामान्य भविष्य निधि खातों को बंद करने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश को चुनौती दी है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए नई तिथि तय की है.
Also Read: बिहार के 14 IAS अधिकारियों को विशेष सचिव ग्रेड में मिला प्रमोशन, 12 हो चुके हैं रिटायर
हाईकोर्ट के इन जजों की नियुक्ति सुपीरियर न्यायिक सेवाओं के तहत सीधी भर्ती के रूप में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में हुई थी. पिछले वर्ष उन्हें हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रुप में नियुक्त किया गया. बिहार सरकार के द्वारा 2016 वर्ष में बनाये गए कानून के मुताबिक नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले अपनी एनपीएस योगदान राशि वापस ले सकते हैं. ये पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जा सकता है या जीपीएफ के अकाउंट में जमा हो सकता है. न्यायाधीशों ने अपने जीपीएफ अकाउंट में एनपीएस योगदान का पैसा जमा किया था.