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ग्रामीण इलाकों में सतही जल योजना को लागू करने के लिए होगा सर्वे

भूजल पर दबाव कम करने की शुरू होगी पहल- केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतही जल योजना पर काम करने के लिए मांगा प्रस्ताव

ग्रामीण इलाकों में सतही जल योजना को लागू करने के लिए होगा सर्वे -क्रिटिकल जोन से होगी शुरुआत

– भूजल पर दबाव कम करने की शुरू होगी पहल

– केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतही जल योजना पर काम करने के लिए मांगा प्रस्ताव

संवाददाता, पटना

बिहार की1876 पंचायतों के ग्राउंड वाटर लेबल का स्तर खराब है. इन इलाकों में हर साल गर्मी में भूजल का स्तर नीचे चला जाता है. इनमें से 138 पंचायतें क्रिटिकल जोन में शामिल हैं. औरंगाबाद, जहानाबाद, जमुई, गया, नालंदा वैशाली, सारण, समस्तीपुर, जहानाबाद, पटना, बेगूसराय व दरभंगा शामिल हैं. राज्य सरकार के निर्देश पर 20 अगस्त के बाद राज्यभर में सतही जल घरों तक पहुंचाने के लिए सर्वे शुरू होगा. पीएचइडी के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में भूजल पर दबाव कम करने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर इसे शुरू किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने हर राज्य को भूजल स्तर पर दबाव कम करने के लिए सतही जल उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश भेजा है. साथ ही, केंद्र ने राज्यों से प्रस्ताव मांगा है, ताकि लोगों के घरों में नदी, डैम और तालाब से पानी लेकर पहुंचाया जा सके.

नदी, डैम और तालाब से लिया जायेगा पानी

बिहार के कई इलाकों में गंगाजल योजना के तहत लोगों के घरों में नदी व डैम के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचाया जा रहा है. वहीं, अब ग्रामीण इलाकों में योजना के तहत पीएचइडी प्रस्ताव तैयार करेगा, ताकि राज्य सरकार से स्वीकृति मिलने पर योजना के संबंध में केंद्र सरकार से आगे की बातचीत हो सके. अधिकारियों के मुताबिक राज्यभर के 10 जिलों में योजना के तहत पानी पहुंचाने का निर्णय लिया गया है और इसके लिए पीएचइडी की तैयारी तेजी से हो रही है, ताकि अगले पांच वर्षों में नदी, डैम व अन्य माध्यमों से पानी लेकर लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचाया जा सके. इस योजना पर जल्द ही मुहर लगने की उम्मीद है. इस योजना को पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राशि भी राज्यों को दी जायेगी.

घट रहा है पानी

बिहार के संदर्भ में केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों को देखें, तो राज्य की लगभग 75 प्रतिशत सिंचाई भूजल आधारित है. आंकड़ों के अनुसार बिहार में वार्षिक रूप से प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता लगातार घट रही है. वर्ष 2001 में आबादी के मुताबिक भूजल में प्रति व्यक्ति 15 लाख 94 हजार लीटर पानी था, जो 2011 में घटकर 12 लाख 73 हजार लीटर हो गया. अगर सार्थक प्रयास नहीं हुए, तो 2025 में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति 10 लाख छह हजार लीटर और 2050 तक छह लाख 35 हजार लीटर रह जायेगा. अधिकारियों के मुताबिक ऐसे में आने वाले समय पानी की कमी जिलों में होगी और भूजल का दायरा भी बढ़ेगा. जहां आज पानी 30 फुट पर मिल जाता है वह बढ़कर 50, 60 और 80 फुट तक पहुंच सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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