Sushil Modi: करीब 11 वर्षों तक संभाला बिहार के डिप्टी सीएम का पद, चारों सदन के रहे सदस्य
Sushil Modi: सुशील कुमार मोदी बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बन पाये लेकिन वो करीब 11 वर्षों तक बिहार के डिप्टी सीएम का पद संभाला, इस पद पर अनुग्रह बाबू के बाद सबसे लंबे समय तक सुशील मोदी ही काबिज रहे.
Sushil Modi: पटना. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर की थी. छात्र जीवन से अबतक सुशील कुमार मोदी ने सियासत में करीब 5 दशक का लंबा सफर तय किया. राजनीति में उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे. सुशील मोदी का जन्म साल 1952 में बिहार की राजधानी पटना जिले में एक मारवाड़ी (वैश्य) परिवार में हुआ था. उन्होंने 1974 में जेपी आंदोलन में बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी.
नहीं तोड़ पाये अनुग्रह बाबू का रिकार्ड
साल 2005 में जब एनडीए बिहार की सत्ता पर काबिज हुई तो उस वक्त सुशील कुमार मोदी डिप्टी सीएम बनाए गये थे. उन्हें बिहार में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था. इसके बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. साल 2010 में बिहार में फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. इस दौरान भी सुशील कुमार मोदी फिर से डिप्टी सीएम के पद पर काबिज रहे. बीजेपी के लिए बिहार में बेहद ही अहम चेहरा बनकर उभरे सुशील कुमार मोदी करीब 11 वर्षों तक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे. सुशील कुमार मोदी को अनुग्रह नारायण सिन्हा के बाद सबसे अधिक समय तक डिप्टी सीएम रहने का सौभाग्य मिला. अनुग्रह बाबू ने 13 वर्षों तक बिहार की बिना स्वार्थ के सेवा की.
लोकसभा व विधान सभा सहित चारों सदनों के सदस्य रहे
सुशील कुमार मोदी उन नेताओं में से हैं जिन्हें राज्यसभा, लोकसभा, बिहार विधान परिषद और बिहार विधान सभा के सदस्य रहने का गौरव प्राप्त है. भाजपा के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी लोकसभा सहित चारों सदनों के सदस्य रहे हैं. छात्र आंदोलन से राजनीति में कदम रखनेवाले सुशील कुमार मोदी लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे हैं. 1990 से वे सक्रिय राजनीति में शामिल हुए. पटना केंद्रीय विधान सभा (अब कुम्हरार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र) विधायक निर्वाचित हुए. भाजपा ने उन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया. वे विधान परिषद के सदस्य भी रहे. 2004 में भागलपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 2005 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने पर उन्हें उप मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. अप्रैल 2024 में ही उनका राज्यसभा का कार्यकाल पूरा किया है.
पांच दशक की संघर्ष, सत्ता, सादगी और संजीदा यात्रा का अंत
बिहार भाजपा के चर्चित चेहरा सुशील मोदी ने राजनीति में अपने संघर्ष के दम पर पहचान बनाई. वर्ष 1968 में वे आरएसएस से जुड़े और आजीवन सदस्य बने. वर्ष 1973 में पटना विवि छात्र संघ के महासचिव बने. वर्ष 1974 में बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य बने. जेपी आंदोलन के दौरान वर्ष 1974 में जेल गए और 19 महीने तक जेल में रहे. 1977 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. वर्ष 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव बने. राजनीति में आने के पहले सुशील मोदी ने व्यक्तिगत जीवन में भी खूब संघर्ष किया. जीविका के लिए पैतृक व्यवसाय रेडिमेड को भी संभाला. कम्प्यूटर संस्थान खोले. बच्चों को भी पढ़ाकर अपना खर्च निकाला.