बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री सारण (छपरा) जहरीली शराब कांड के मृतक परिवारों को मुआवजा देने से इन्कार नहीं कर सकते. बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा 42 में ऐसे मामलों को लेकर चार-चार लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है. जरूरत पड़ी तो भाजपा इसके लिए कोर्ट की शरण भी ले सकती है.
रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुशील मोदी ने कहा कि छपरा जहरीली शराब कांड में मरने वालों की संख्या 100 पार कर चुकी है. यदि सदर अस्पताल छपरा एवं मशरख पीएचसी में डॉक्टर, नर्स, एंबुलेंस, स्ट्रेचर, दवा की व्यवस्था रहती, तो दर्जनों लोगों को बचाया जा सकता था. जांच में पता चला है कि मशरख थाने में जब्त शराब की आपूर्ति जहरीली शराब बनाने वालों को की गयी थी. मरने वाले अधिकतर अत्यंत गरीब, दलित व अतिपिछड़े हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि पिछले छह वर्षों में बिहार में शराब से 1000 से ज्यादा मौत हो चुकी है, लेकिन राज्य सरकार मरने वालों के आंकड़ों को छुपा रही है. बिहार सरकार के अनुसार अब तक केवल शराब से केवल 23 मौत हुई है, जबकि सिर्फ 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्नी में 19 लोगों की मौत हो गयी थी. उस मामले में बिहार सरकार ने भारत सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, उसके अनुसार 2016 में मात्र छह मौत हुई है. खजूरबन्नी में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि यदि जहरीली शराब से मौत प्रमाणित हो गयी, तो चार लाख मुआवजा दिया जायेगा. इस शराब कांड में 14 परिवारों को चार-चार लाख मुआवजा दिया गया, तो फिर सारण के मृतक परिवारों को मुआवजा क्यों नहीं? जीतन राम मांझी और वामपंथी पार्टियां मामले पर चुप क्यों हैं?
Also Read: जहरीली शराब से दलितों-गरीबों की मौत पर मांझी, माले ने क्यों साध ली चुप्पी ? : सुशील मोदी
सुशील मोदी ने कहा कि शराब का धंधा गांव-गांव तक पहुंच चुका है. अब उसे रोकना बहुत कठिन है. इसलिए नीतीश कुमार को तत्काल त्याग पत्र देकर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए. अवैध व्यापार से राजद समर्थक ज्यादा जुड़े हैं, इसलिए वे अपने लोगों को रोक सकते हैं? प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिद्धार्थ शंभू, संतोष पाठक, राकेश कुमार सिंह उपस्थित रहे.