हल्की चोट में भी खून का न रुकना हीमोफीलिया के लक्षण

हल्की चोट लगने पर भी लगातार खून बहना हीमोफीलिया के लक्षण हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 12:48 AM

मेडिकल काउंसेलिंग

संवाददाता, पटनायदि आपके बच्चे के मसूढ़ों से लगातार खून बह रहा है या हल्की चोट लगने पर भी लगातार खून बह रहा है, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह हीमोफीलिया के लक्षणों में से एक है. हीमोफीलिया एक आनुवंशिक बीमारी है. इसमें शरीर से लगातार रक्तस्राव होता है. हालांकि, वर्तमान में कई आधुनिक व कारगर दवाएं आ गयी हैं, जिनसे इलाज संभव हो गया है. यह कहना है पीएमसीएच के पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ देवेंद्र प्रसाद का. रविवार को प्रभात खबर की ओर से टेली मेडिकल काउंसेलिंग का आयोजन किया गया. इसमें उन्होंने हीमोफीलिया, थैलेसीमिया और एनीमिया से संबंधित बीमारियों के इलाज और स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के बारे में जानकारी दी.

पीएमसीएच समेत चार सरकारी अस्पतालों में डे केयर की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध

डॉ देवेंद्र प्रसाद ने कहा कि पीएमसीएच समेत गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों के लिए निशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन सहित इलाज और जांच के लिए डे केयर सेंटर की स्थापना की गयी है. संबंधित बीमारी से पीड़ित कोई भी मरीज सुबह नौ से शाम पांच बजे तक आकर खून चढ़ाने के साथ अपना इलाज करा सकता है. इस सुविधा के शुरू होने के बाद अब मरीजों के भर्ती होने की भी जरूरत नहीं है. पीएमसीएच में प्रति माह लगभग 150 थैलेसीमिया और 50 से अधिक हीमोफीलिया मरीजों को लाभ मिलता है, जिसमें निशुल्क ब्लड ट्रांसफ्यूजन, खून की नियमित जांच और दवा वितरण जैसी सुविधा पीड़ितों को दी जाती है.

किसी को हीमोफिलिया तो कोई थैलेसीमिया बीमारी से था पीड़ित

सवाल : क्या है थैलेसीमिया, क्या यह बीमारी किसी को भी हो सकता है? राज कुमार चौधरी, सहरसा

जवाब : यह रक्त से जुड़ी हुई आनुवंशिक बीमारी है. मतलब माता-पिता में से किसी को है, तो ही बच्चे को यह बीमारी हो सकती है. इससे पीड़ित व्यक्ति के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है. रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) भी बेहद कम बनती हैं.

सवाल : थैलेसीमिया होने पर क्या इलाज है और कौन से टेस्ट करवाएं? गोपाल जी सम्राट, बक्सरजवाब : हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट या हाइ परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमोटोग्राफी से इसका टेस्ट होता है. हर माता-पिता को अपनी जेनेटिक टेस्टिंग जरूर करवानी चाहिए, ताकि थैलेसीमिया के बारे में पता चल सके. इसका स्थायी इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट से ही संभव है.

सवाल : मुझे हीमोफीलिया की बीमारी है, इसके लिए खान-पान क्या होना चाहिए? रानी सिंह, पटनाजवाब : हीमोफीलिया के मरीजों को उनकी डाइट में कुछ विशेष चीजों को शामिल करने की सलाह दी जाती है, जो रक्तस्राव को नियंत्रित और खून की क्लॉटिंग को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं. आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ हीमोफीलिया के मरीजों को जरूर खाने चाहिए.

सवाल : क्या है सिकल सेल एनीमिया, इसके लक्षण बताएं? अमित कुमार, मुंगेरजवाब : सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन) के कारण होने वाली रक्त की एक आनुवंशिक विकार है. असामान्य हीमोग्लोबिन के वजह से लाल रक्त कोशिकाएं सिकल के आकार की हो जाती हैं. यह उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है.

सवाल : बच्चों को क्यों होता है सिकल सेल एनीमिया, सुमित कुमार, भोजपुरजवाब : सिकल सेल रोग एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जो माता-पिता से बच्चों को हो सकता है. हमारे शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं का अनियमित आकार, जो सी जैसा दिखता है. सिकल सेल एनीमिया का पता बच्चे के पैदा होने के दौरान टेस्टिंग के जरिये लगाया जा सकता है.

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