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Teacher Day: शिक्षक दिवस पर प्रभात खबर की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में सेवानिवृत शिक्षक और प्राध्यापकों ने रखी अपनी बात

Teacher Day: शिक्षकों को नियम का पालन करना जरूरी है लेकिन उन्हें नियमों में बांध कर रखने से शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक विकास नहीं किया जा सकता है.

Teacher Day: पटना. क्लासरूम में पाठ्यक्रम को पढ़ाने के साथ ही विद्यार्थियों को अनुशासन के महत्व के बारे में बताना भी मौजूदा दौर के शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अतिआवश्यक है. शिक्षकों का काम विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है बल्कि उन्हें अपनत्व और प्रेम भी देना है ताकि शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच बेहतर बांडिंग विकसित हो सके. स्कूली विद्यार्थी खासकर कक्षा एक से आठवीं के बच्चों को मॉरल साइंस की विशेष क्लास आयोजित करने और मनुष्यता का पाठ पढ़ाना भी जरूरी है, ताकि समाज में जीने की कला विद्यार्थियों के अंदर विकसित हो सके. यह बात बुधवार को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में सेवानिवृत शिक्षकों और प्राध्यापकों ने कहीं.

शिक्षकों ने कहा कि हाल के वर्षों में सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार आया है. जरूरत है कि पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ ही विद्यार्थियों में अनुशासन और मॉरल की पुट शिक्षण के माध्यम से डाली जाये ताकि विद्यार्थी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने के साथ ही विकसित समाज को तैयार करने में अपनी अहम भूमिका निभायें. कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण के शिक्षण के क्षेत्र में दिये गये योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. शिक्षकों ने कहा कि विद्यार्थियों की गुणात्मक शिक्षा देने की इच्छा के साथ पढ़ाने की कोशिश करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही स्कूली बच्चों में पढ़ने-लिखने की शैली को बेहतर बनाने के लिये सिलेबस के चयनकर्ता कविता और कहानियों को अधिक-अधिक जोड़े रखने का प्रयास करें.

शिक्षकों पर सख्ती कर शिक्षा व्यवस्था में नहीं हो सकता है सुधार

शिक्षकों का पेशा एक ऐसा पेशा है जिसमें इच्छाशक्ति का होना अतिआवश्यक है. शिक्षकों को नियम का पालन करना जरूरी है लेकिन उन्हें नियमों में बांध कर रखने से शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक विकास नहीं किया जा सकता है. शिक्षकों को खुद ही ऐसी व्यवस्था तैयार करनी होगी कि कोई भी विद्यार्थी क्लास को छोड़े नहीं. इसके साथ ही शिक्षकों को विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को परखते हुये उसे और भी बेहतर बनाने के लिये पढ़ाया जाना चाहिये. इसके साथ ही परीक्षा आयोजित कराने के व्यवस्था को भी दुरुस्त बनाने की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों में क्वालिटी एजुकेशन डेवलप हो सके. इसके साथ ही स्कूल और कॉलेज के महत्व को भी समझना विद्यार्थियों के लिये आवश्यक है.
प्रो कर्यानंद पासवान, सेवानिवृत प्रोफेसर, पटना विश्वविद्यालय

मॉरल शिक्षा के साथ ही विद्यार्थियों को सेक्स एजुकेशन के प्रति भी किया जाये जागरूक

मौजूदा दौर में विद्यार्थियों में मॉरल एजुकेशन की काफी कमी दिख रही है. विद्यार्थियों को स्कूल स्तर पर ही मॉरल शिक्षा देने के साथ ही सेक्स एजुकेशन के प्रति भी जागरूकता अभियान चलाने की अवश्यकता है. अभिभावकों के साथ ही शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि बच्चों को मनुष्यता का पाठ पढ़ाये जाये ताकि वे समाज में बेहतर ढंग से जीने की कला सीख सकें. हमारे पढ़ाये हुये विद्यार्थी जब बेहतर प्रदर्शन करते हैं तो उसमें शिक्षकों को सबसे अधिक खुशी होती है. शिक्षकों को इस बात ख्याल रखते हुए पढ़ाने की आवश्यकता है कि हम एक बेहतर मनुष्य का निर्माण कर सकें.
प्रो डॉ पूनम चौधरी, सेवानिवृत प्राचार्या, श्री अरविंद महिला कॉलेज

विद्यार्थी जीवन में फैशन पर फोकस करना पढ़ाई से करता है दूर

मैने चौथी कक्षा तक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की. इसके बाद सरकारी स्कूल से आगे की पढ़ाई की. हमारे दौर में सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ही मॉरल साइंस की शिक्षा बेहतर ढंग से दी जाती थी. मौजूदा दौर में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मॉरल शिक्षा को बेहतर करने की आवश्यकता है. विद्यार्थी जीवन में फैशन पर अधिक फोकस करने से पढ़ाई से दूरी होना स्वाभाविक है. शिक्षकों को यह बताना होगा कि अनुशासन और विद्यार्थी जीवन में कैसा रुटीन होना चाहिये. लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी अपने दायरे को समझने के लिये भी शिक्षकों को प्रेरित करने की आवश्यकता है.
प्रो डॉ रीता सिंह, सेवानिवृत प्राध्यापिका, श्री अरविंद महिला कॉलेज

विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच बेहतर रिश्ता जरूरी

विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच बेहतर रिश्ता होगा तभी गुणात्मक शिक्षा का प्रसार हो पायेगा. मौजूदा दौर में इस रिश्ते में काफी कमजोरी दिखती है. विद्यार्थी और शिक्षकों के बीच अपनत्व होगा तभी विद्यार्थी खुलकर अपनी समस्याओं को शिक्षकों के सामने रख सकेंगे और उसका समाधान निकाल पायेंगे. इसके साथ ही विद्यार्थियों में पढ़ने लिखने की बेहतर शैली उत्पन्न करने के लिये पाठ्यक्रम में कविता और कहानियों को अधिक-अधिक संख्या में जोड़े जाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही डिजिटल एजुकेशन को किस तरह से प्राप्त करना इसकी भी सीमाओं से विद्यार्थियों को अवगत कराने की आवश्यकता है.
चंद्रीप सिंह यादव, सेवानिवृत प्राचार्य, राजकीय बालिका उच्च विद्यालय

शिक्षक के व्यक्तिव से ही से ही मॉरल शिक्षा प्राप्त करते हैं विद्यार्थी

मॉरल शिक्षा ऐसी शिक्षा है जिसे केवल किताबों के माध्यम से नहीं पढ़ाया जा सकता है. विद्यार्थी सबसे अधिक शिक्षकों के व्यक्तित्व से ही सीखतें हैं. शिक्षकों को स्वतंत्र माहौल देकर ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है. जबतक शिक्षकों के मन में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने की भावना विकसित नहीं होगी विद्यार्थियों के व्यक्तिव का विकास नहीं होगा. इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षकों को भी आर्थिक और मानसिक रूप से बेहतरी की भावना विकसित हो सके
राम नारायण प्रसाद सिंह, सेवानिवृत शिक्षक, श्रीरघुनाथ प्रसाद बालिका उच्च विद्यालय

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गैर शिक्षण कार्य की जिम्मेदारियों से शिक्षकों को दूर रखने की आवश्यकता

विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने की सभी शिक्षकों की जिम्मेदारी है. लेकिन इस बात का भी ख्याल रखने की आवश्यकता है कि शिक्षकों को गैर शिक्षण कार्यों से दूर रखा जाये. शिक्षकों का विशुद्ध कार्य विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ ही सामाजिक तौर पर बेहतर इंसान का निर्माण करना है. मनुष्यता का भाव जो शिक्षकों के मन में होगा उसे ही विद्यार्थियों के समक्ष रखते हुये पढ़ाने की आवश्यकता है. विद्यार्थी अपने बड़ों के भाव को देखकर भी बहुत कुछ सीखते और समझते हैं.
सहदेव यादव, सेवानिवृत्त शिक्षक, सर जीडी पाटलिपुत्र स्कूल

शिक्षकों को विद्यार्थियों की रुचि को समझकर पढ़ाने की है आवश्यकता

सभी शिक्षकों की पढ़ाने की अपनी-अपनी विशेषता है. जरूरी है कि अपनी विशेषता को बरकरार रखने के साथ ही विद्यार्थियों की रुचि को समझकर उसे बेहतर बनाने की कोशिश करें. मौजूदा दौर में शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है. डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के साथ ही विद्यार्थियों को उसके पॉजेटिव और निगेटिव दोनों तत्वों से अवगत कराने की आवश्यकता है. क्लास में पढ़ाने के साथ ही शिक्षक बोर्ड पर लिखकर या फिर स्मार्ट बोर्ड का अधिक प्रयोग करें. विद्यार्थी देखकर सबसे अधिक सीख सकते हैं.
आजाद चंद्रशेखर प्रसाद सिंह, सेवानिवृत प्राचार्य, मिलर हाइस्कूल

हेल्थ एजुकेशन और धार्मिक शिक्षा भी विद्यार्थियों को देने की आवश्यकता

एक स्वस्थ्य शरीर में ही बेहतर शिक्षा को प्रेसित किया जा सकता है. अनुशासन का मतलब ही है कि विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक रूप से व्यक्तित्व का विकास किया जाये. एक चिकित्सकीय शिक्षक होने के रूप में मुझे लगता है कि विद्यार्थियों को किताबी शिक्षा देने के साथ ही हेल्थ, सेक्स और धार्मिक ज्ञान भी दिया जाये ताकि समाज में एक बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण किया जा सके. विद्यार्थियों को फूड हैबिट की विशेषता बताने के साथ ही उसके महत्व से अवगत कराने की आवश्यकता है.
प्रो डॉ दिनेश्वर प्रसाद, सेवानिवृत प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज

शिक्षा क्षेत्र में सुधार शिक्षकों की इच्छाशक्ति के बिना नहीं की जा सकती है

बेहतर शिक्षा तभी शिक्षक प्रदान कर सकते हैं जब वे अपने अंदर मजबूत इच्छा शक्ति को उत्पन्न करें. बिना शिक्षकों के चाह के शिक्षा के क्षेत्र में सुधार नहीं की जा सकती है. शिक्षकों का कार्य केवल क्लास लेना नहीं है बल्कि विद्यार्थियों के समस्याओं का निदान भी करना है. इसके लिये शिक्षकों और विद्यार्थियों में बेहतर बांडिंग की आवश्यकता है. शिक्षक अपने कर्तव्यों का निवर्हन अगर इमानदारी पूर्वक करेंगे तो निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है.
दयानंद प्रसाद सिंह, सेवानिवृत शिक्षक, राजेंद्र नगर ब्वॉयज हाइस्कूल

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