बिहार के सात हजार स्कूलों में की जायेगी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति, टीचर्स की कमी को पूरा करने की कवायद
बिहार में 9300 प्लस टू स्कूलों में करीब दो हजार स्कूलों में करीब ढाई हजार अतिथि शिक्षक पहले से काम कर रहे हैं. इन सभी स्कूलों में पिछले दो से तीन सालों में विषय विशेषज्ञों के अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति इसलिए नहीं हो सकी थी कि वहां छठे चरण का शिक्षक नियोजन चल रहा था.
राज देव पांडेय:
बिहार के सात हजार प्लस टू स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी. संभावित अतिथि शिक्षकों की संख्या करीब सात से आठ हजार होगी. शिक्षा विभाग की रणनीति है कि सातवें चरण की नियुक्ति होने तक विषय विशेष के शिक्षकों का प्रबंध किया जाये. जिन विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है, उनमें गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, जूलॉजी, वनस्पति विज्ञान, कॉमर्स ,अंग्रेजी व अन्य भाषा विषय शामिल हैं.
शिक्षकों की पूर्ति हो सकेगी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्दी ही अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. स्कूलों में विभिन्न विषयों में हुए नामांकन संख्या के आधार पर नियुक्ति की जानी है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इस मामले विषय वार नामांकन की संख्या जुटा रहा है. प्रदेश में 9300 प्लस टू स्कूलों में करीब दो हजार स्कूलों में करीब ढाई हजार अतिथि शिक्षक पहले से काम कर रहे हैं. इन सभी स्कूलों में पिछले दो से तीन सालों में विषय विशेषज्ञों के अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति इसलिए नहीं हो सकी थी कि वहां छठे चरण का शिक्षक नियोजन चल रहा था. उम्मीद थी कि इस नियोजन के जरिये जरूरत के शिक्षकों की पूर्ति हो सकेगी.
हायर सेकेंडरी में केवल 3% ही भरे जा सके शिक्षकों के रिक्त पद
माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में छठे चरण के निर्धारित शेड्यूल के तहत केवल 2716 शिक्षक (केवल 8 फीसदी) नियुक्त हो सके हैं. नियोजन से पहले खाली पदों की संख्या 32714 थी. नियुक्ति प्रक्रिया लगभग पूरी होने के बाद 29998 पद रिक्त रह गये हैं. सर्वाधिक रिक्तियां हायर सेकेंडरी में रिक्त रह गयी हैं. यहां केवल तीन फीसदी ही खाली पद भरे जा सके हैं. माध्यमिक स्कूलों के रिक्त पदों में 13325 पदों में केवल 2048 और उच्च माध्यमिक स्कूलों में 19389 रिक्त पदों में केवल 668(3.44 फीसदी) पद ही भरे जा सके हैं.
शिक्षा विभाग की यह रणनीति नहीं हो सकी कारगर
शिक्षा विभाग ने प्लस टू स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्राइमरी और मध्य स्कूलों से प्रोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों की तलाश की. केवल नाम मात्र के लिए ही ऐसे शिक्षक मिली, जिन्हें निकटवर्ती प्लस टू स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजा गया. हालांकि इनकी संख्या नाम मात्र के लिए ही रही.