IIT पटना में दो दिवसीय TEDx कार्यक्रम का हुआ आगाज, वक्ताओं ने दिखाई अपने जीवन यात्रा की झलक
IIT पटना में आज शनिवार को दो दिवसीय TEDx कार्यक्रम का आगाज हुआ. इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने अनंत समानता के विषय पर लोगों को संबोधित किया.
IIT पटना में आज शनिवार को TEDx के चौथे संस्करण की शुरुआत हुई. इस दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई. इसके बाद कार्यक्रम स्पीच के महत्व, टेडएक्स के लक्ष्यों और टेडएक्स आईआईटी पटना के संक्षिप्त इतिहास के बारे में बताया गया. इस साल के TEDx का सबसे पहला विषय “अनंत समानता” था. इस वर्ष टेड एक्स का उद्देश्य एकता और एकजुटता की भावना को उत्सव के रूप में मनाने का है.
आज के TEDx टॉक की शुरुआत वोगीश जावेद खत्री से हुई. उन्होंने मुंबई में स्लम बस्तियों से अपनी विनम्र शुरुआत के बारे में बात की जहां वह मल्टी-मिलियन स्टार्टअप्स के साथ काम कर रहे थे. हालांकि सबसे दिलचस्प हिस्सा वह था जब उन्होंने अपने इंजीनियरिंग के दिनों की बात की. जावेद ने कई कंपनियों की स्थापना की थी जो उनके कॉलेज की फीस का भुगतान में मदद करती थीं. साधारण वस्तुओं को बेचने के लिए अपने बिजनेस मॉडल को परिष्कृत करके धन का मंथन करने के उनके प्रयास व्यावहारिक और प्रेरक दोनों थे.
आज के दूसरे वक्ता फणी तेताली एक भावुक चित्रकार और कार्टूनिस्ट हैं. जिन्होंने अपने सुंदर चित्रों के माध्यम से ज्ञान का प्रकाश प्रदीप्त किया. उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा उनके चाचा बापू थे जो आंध्र प्रदेश के एक बहुत प्रसिद्ध कलाकार और फिल्म निर्माता थे. उनके अनुसार पात्र रचनाकारों की विरासत को आगे बढ़ाते हैं. एनीमेशन उद्योग में 20 वर्षों के बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे आईडीसी में पढ़ाने के लिए वापस आने का फैसला किया. अंत में वे कहते हैं कि हमें जिंदगी में ऐसे लोग मिल सकते हैं जो हमारी रचनात्मकता का समर्थन करेंगे. रचनात्मकता एक ऐसी चीज है जो हम सभी में बसती है. बस हमें चीजों को अलग तरह से देखने के लिए थोड़ी संवेदनशीलता और एक अद्वितीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है.
तीसरे वक्ता नारायण महादेवन की बातों ने श्रोताओं को उनके जीवन यात्रा की एक झलक दिखाई. उन्होंने अपने जीवन की बातों को बिंदुओं में बताया. वो 8वीं कक्षा में फेल हो गए थे इसके बाद उन्होंने एक आंतरिक दुनिया बनाकर समाज में जीवित रहना सीखा. जहां उन्हें विश्वास था कि वह कुछ भी हासिल कर सकते हैं. वो बी.टेक में 100 दिनों में सी ++ सिख गए थे. उन्होंने कहा इसी प्रकार कोई भी निरंतर कड़ी मेहनत के साथ अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकता है. यहां तक कि उन्होंने समस्याओं को खोजकर समाधान तैयार करके स्वतंत्र रहने का भी एक विजन दिया.
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