तेजस्वी ने महंगाई को लेकर भाजपा पर साधा निशाना, कहा आज़ाद भारत में पहली बार अनाज और कफ़न पर लगा टैक्स

तेजस्वी यादव ने लिखा की आज़ाद भारत में पहली बार अनाज और कफ़न पर टैक्स लगाया गया है जिसका सबसे अधिक खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा. इस टैक्स के कारण दूध-दही, घी, आटा, चावल, स्टेशनरी इत्यादि के भाव 10-15% बढ़ गए है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2022 9:15 PM

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र की एनडीए सरकार विशेषकर भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि देशवासी नोटबंदी के बाद से बदहाल अर्थव्यवस्था, बेतहाशा महंगाई और रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी एवं नौकरी के विकल्पों के अभाव से जूझ रहे लोगों की जरूरत की महत्वपूर्ण चीजों पर जीएसटी लगाकर इस सरकार ने असंवेदनशील रवैया अपनाया है. इसका खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा.

पहली बार अनाज और कफ़न पर टैक्स

तेजस्वी यादव ने लिखा है कि केंद्र सरकार में आम आदमी बिल्कुल विकल्पहीन और आशा-विहीन हो गया है. यह देश के लिए बहुत खतरनाक है. उन्होंने लिखा की आज़ाद भारत में पहली बार अनाज और कफ़न पर टैक्स लगाया गया है जिसका सबसे अधिक खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा. इस टैक्स के कारण दूध-दही, घी, आटा, चावल, स्टेशनरी इत्यादि के भाव 10-15% बढ़ गए है. इससे लोगों की पढ़ाई लिखाई और खान-पान व पोषण अर्थात् लोगों के भविष्य और वर्तमान पर सीधा सीधा असर पड़ रहा है.

हर महीने बढ़ रहे बेरोजगार 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा की हर बीतते महीने के साथ देश में डेढ़-दो करोड़ बेरोजगारों की संख्या में बढ़ौतरी हो रही है. यानी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और बिना सोचे समझे अचानक लिए गए अतार्किक फैसलों एवं गलत जनविरोधी नीतियों के कारण एक ओर आय के विकल्प लगातार खत्म हो रहे हैं, वहीं बढ़ती महँगाई और नित नए थोपे जा रहे टैक्सों के कारण बचत और जीवनयापन करना असंभव सा हो गया है.


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किसान का जीना मुहाल हो गया

नेता प्रतिपक्ष ने कहा की सरकार दाम बढ़ाकर, राष्ट्र की संपत्ति बेचकर, निजीकरण कर, नौकरी छिनकर, लोगों की पेट पर लात मारकर कमाई करना बिल्कुल बंद करें. आम आदमी, गरीब, मजदूर, किसान का जीना मुहाल हो गया है. छोटे व मंझोले किसान व व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं. सरकारी नौकरियाँ खत्म की जा रही है. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को आम नागरिकों की पहुँच से बाहर कर दिया गया है. पूंजीपति मित्रों के 11 लाख करोड़ की राशि तक के टैक्स और लोन माफ़ करने वाली जनविरोधी केंद्र सरकार में आम आदमी बिल्कुल विकल्पहीन और आशा-विहीन हो गया है जो देश के लिए बहुत खतरनाक है.

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