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डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की बढ़ी मुश्किलें, जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट पहुंची सीबीआई

आईआरसीटीसी घोटाले मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव जमानत पर बाहर हैं. अ इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट का रुक किया है. और जमानत रद्द करने की मांग की है.

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मुश्किल एक बार फिर से बढ़ती हुई दिख रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अब आईआरसीटीसी घोटाला मामले में शनिवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया. सीबीआई ने मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की है. कोर्ट ने अगर सीबीआई की ये अर्जी मंजूर कर ली तो तेजस्वी यादव को जेल जाना पड़ सकता है.


2018 में मिली थी जमानत 

विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने CBI की याचिका पर तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है. बता दें कि IRCTC टेंडर घोटाला मामले में तेजस्वी यादव और उनकी मां राबड़ी देवी को 2018 में जमानत दी गई थी.

रिश्वत में जमीन 

सीबीआई ने इस आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले में 12 लोगों और दो कंपनियों को आरोपित किया था. इस मामले में लालू परिवार पर आरोप है कि उन लोगों ने टेंडर के नियम में बदलाव कर गलत तरीके से होटलों का आवंटन किया था. आरोप है कि होटल के बदले रिश्वत में पटना के एक पौष इलाके में जमीन दिया गया था.

7 साल की हो सकती है सजा 

सीबीआई तेजस्वी यादव समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. इन धाराओं में तेजस्वी यादव के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. कोर्ट में इस मामले के ट्रायल के दौरान पर्याप्त सबूत और गवाह सामने आते हैं तो तेजस्वी यादव को 7 साल तक की सजा हो सकती है.

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रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट

टेंडर के बदले जमीन के इस घोटाले मामले में अगर तेजस्वी यादव पर आरोप सिद्ध हो जाता है तो उन्हें सात साल की सजा होगी. ऐसे में तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर लगभग खत्म होतं हो जाएगा. क्योंकि सजा होने पर तेजस्वी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. किसी व्यक्ति को 6 महीने से ज्यादा की सजा होने पर रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत चुनाव नहीं लड़ने का प्रावधान है.

सीबीआई की याचिका

सीबीआई द्वारा कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एक प्रेस वार्ता में सीबीआई अधिकारियों को धमकी भरे अंदाज में संदेश दिया था, क्योंकि वह प्रभावशाली पद पर हैं ऐसे में उनकी बात जांच को प्रभावित कर सकती हैं.

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