राजद ने पूरे बिहार में किया धरना प्रदर्शन, पटना में तेजस्वी भी हुए शामिल, जानिए क्या है मांग…
राजद ने केंद्र व बिहार सरकार की नीतियाें के खिलाफ पूरे राज्य में धरना प्रदर्शन किया है. रविवार को पटना में तेजस्वी यादव भी इसमें शामिल हुए.
राजद ने रविवार को पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत राज्यव्यापी धरना दिया है. राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराने और बिहार में आरक्षण की सीमा को 65 बढ़ाये जाने के निर्णय को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राजद नेताओं व कार्यकर्ताओं ने धरना दिया है. पटना में राजद कार्यालय के सामने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी धरने पर बैठे.
राजद ने सभी जिला मुख्यालयों में किया प्रदर्शन
एक दिन पहले शनिवार को राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस धरना प्रदर्शन को लेकर समीक्षा बैठक भी की थी. राजद के वरीय सहयोगियों एवं सभी प्रमंडल प्रभारी महासचिवों को धरना को सफल बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे. रविवार को पटना समेत तमाम जिला मुख्यालय में राजद के कार्यकर्ता धरना पर बैठे.
क्या है आरजेडी के धरने की वजह?
राजद ने देशभर में जातीय जनगणना कराने की मांग की है. आरक्षण के जिस दायरे को सरकार ने बढ़ाकर 65% किया था उसे नौवीं अनुसूची में नहीं डालने के विरोध में और केंद्र व बिहार की NDA सरकार की नीतियों के विरुद्ध आरजेडी का यह धरना प्रदर्शन हुआ है. सभी जिला मुख्यालय पर राजद के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया है.
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मुजफ्फरपुर में राजद का धरना प्रदर्शन
राजद ने सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन किया. मुजफ्फरपुर में भी राजद कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया. अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की.
अररिया में राजद का प्रदर्शन
प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बोले…
शनिवार को इस धरना प्रदर्शन की समीक्षा बैठक कर रहे प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि 1990 में मंडल कमीशन की अनुशंसा लागू करने के समय से ही राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद जातिगत जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं. केंद्र की यूपीए सरकार के समय लालू व अन्य समाजवादी नेताओं की मांग पर जातिगत जनगणना हुई, लेकिन फाइनल रिपोर्ट आते-आते केंद्र में भाजपा की सरकार बन गयी, जिसने जातिगत जनगणना के आंकड़े को प्रकाशित नहीं किया और उसे फ्रीज कर दिया. वहीं, तेजस्वी यादव की पहल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की एवं राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार राजी नहीं हुई.