बिहार में जाति आधारित जनगणना राज्य सरकार जल्द शुरू करवायेगी. इसके लिए बुधवार को सर्वदलीय बैठक में आम सहमति बन गयी. जाति आधारित जनगणना के माध्यम से राज्य के सभी जाति और धर्म के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में हर तरह की जानकारी इकट्ठा की जायेगी. जाति के साथ उप जाति, निवास स्थान, घर सहित अमीर और गरीब की भी जानकारी जुटाई जायेगी.
सर्वदलीय बैठक में राजद की ओर से विधानसभा में नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव शामिल हुए उन्होंने कहा कि जातीय गणना छठ महापर्व के समय करना चाहिए. यह वह समय होता है, जब अधिकतर बिहारी अपने बिहार स्थित घरों पर पहुंचते हैं. इसलिए जातीय गणना के लिए नवंबर माह उपयुक्त रहेगा.
सर्वदलीय बैठक में तेजस्वी यादव ने सुझाव दिया है कि जातीय गणना में विशेष तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल करना चाहिए, ताकि जातीय पहचान ठीक से हो सके. मंडल आयोग में भी ऐसे विशेषज्ञों की नियुक्ति की गयी थी. जातीय गणना में विधि संबंधी अड़चनों को भी पहचान की जानी चाहिए. इस पर सहमति बनी है. राज्य में 40 में से 39 सांसद एनडीए के हैं. अब उन्हें चाहिए कि जातीय गणना कराने में केंद्र से आर्थिक मदद मुहैया कराने में राज्य सरकार की मदद करें. जातीय गणना राज्य के लिए अतिरिक्त बोझ है.
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बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने बैठक में सुझाव दिया है कि संभव हो अगली कैबिनेट में ही जातीय गणना का प्रस्ताव मंजूर करा लिया जाये. जोर देकर कहा कि मुझे यकीन है कि अब जातीय गणना होगी. कहा कि इस गणना से पता चल सकेगा कि किस बिरादरी के लोग भूमि हीन हैं. कौन रोजगार के लिए पलायन कर रहा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके साथ राज्य सभा सांसद मनोज झा और पूर्व विधायक शक्ति यादव मौजूद रहे.