बिहार संग्रहालय में नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स ने ‘गजल का सफर’ का आयोजन किया संवाददाता, पटना बिहार संग्रहालय में रविवार की शाम नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स ने अपना 148वां संगीत कार्यक्रम ‘गजल का सफर’ का आयोजन किया. इसमें प्लेबैक और गजल सिंगर गायत्री अशोकन ने गजल प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को मुग्ध कर दिया. उन्होंने मीर तकी मीर की गजल ‘ये धुआं सा कहां से उठता है’ से अपने कार्यक्रम का आगाज किया. उसके बाद उन्होंने गालिब की मशहूर गजल ‘दिल नादान तुझे हुआ क्या है’ गाया और दर्शकों को उनके साथ गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया. फिर बहादुर शाह जफर की गजल ‘बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी’ और उसके बाद उन्होंने मोमिन की बेहतरीन गजल ‘रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह’, दाग दहेलवी की ‘उज्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं’ और अल्लमा इकबाल की ‘तेरे इश्क कि इन्तहा चाहता हूं’ की प्रस्तुति देते हुए श्रोताओं को भी खूब झुमाया. इसके बाद उन्होंने हरसू दिखाई देते हैं वो.., गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले.., मेरे हमनफस मेरे हमनवा.., हमको किसके गम ने मारा.., सादगी तो हमारी जरा देखिये.., आदि की प्रस्तुति दी. वहीं, तबला पर ओजस अधिया, सारंगी पर उस्ताद रोशन अली, हारमोनियम पर उस्ताद करीम नियाजी व गिटार पर रतन प्रसन्ना ने संगत किया. कार्यक्रम में चीफ कार्डियक सर्जन और नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के सचिव डॉ अजीत प्रधान ने कहा कि इरान में तकरीबन सात सौ साल तक अपना रंग-रूप निखारने के बाद गजल ने सोलहवीं सदी में दक्षिणी भारत के दकनी शायरों की रचनाशीलता के हाथों हमारी जबान में कदम जमाये. मौके पर मंत्री अशोक चौधरी, कला-संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजौत कौर, संग्रहालय निदेशक अंजनी कुमार सिंह, अशोक कुमार सिन्हा, अरविंद सिंह उर्फ छोटू, ओम प्रकाश सिंह सेतू समेत अन्य मौजूद रहे.
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