तीन कारनामों के खिलाफ विभाग ने संचालित की कार्रवाई
चिकित्सकों के अजब-गजब कारनामे को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई आरंभ कर दी है.
सरकारी चिकित्सकों के कारनामें : पीजी पास कराने में मांगी रिश्वत, पीएफ की राशि निकाल ली तीन कारनामों के खिलाफ विभाग ने संचालित की कार्रवाई संवाददाता,पटना चिकित्सकों के अजब-गजब कारनामे को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई आरंभ कर दी है. मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले सर्जरी विभाग के पोस्ट ग्रेजुएट के छात्र से पास कराने के नाम पर रिश्वत की मांग की गयी है. इसी प्रकार एक चिकित्सक ने अपने अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों का भविष्य निधि (पीएफ) की राशि की निकासी कर उसे जमा नहीं कराया है. एक ऐसे चिकित्सक का भी कारनामा सामने आया है, जिसने ब्लड बैंक से आइवी सेट से संक्रमित खून लेकर उसे चढ़ा दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने इन तीनों चिकित्सकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई आरंभ कर दी है. केस नंबर 1 यह केस दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी विभाग के तत्कालीन एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ अवध कुमार का है. वह अभी एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में पदस्थापित हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, लहेरियासराय में सर्जरी विभाग के पीजी छात्रों से अवैध राशि की वसूसी की. पीजी छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए उनके थेसिस पर साइन ना करने और फाइनल परीक्षा में फेल करने की धमकी दी. इसे देखते हुए विभाग ने डॉ अवध कुमार के विरुद्ध अनुबंध में वर्णित आरोपों के लिए बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण, एवं अपील) नियमावली 2005 के नियम 17 के अधीन विभागीय कार्रवाई संचालित कर दी है. विभागीय कार्रवाई के संचालन के लिए अपर निदेशक,स्वास्थ्य सेवाएं डाॅ अलका सिन्हा को संचालन पदाधिकारी बनाया गया है. केस नंबर 2 यह केस पटना जिले के दनियांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ नौशाद अली का है. पटना के सिविल सर्जन द्वारा दनियावां के तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ नौशाद के विरुद्ध आरोप है कि संस्थागत चिकित्सा पदाधिकारी और कर्मचारियों के भविष्य निधि एवं अन्य मदों से 18 विपत्रों के माध्यम से 59 लाख राशि की निकासी कर उसका भुगतान नहीं किया है. उन पर वित्तीय शिथिलता बरतने का आरोप लगाया गया है. इसको उनको पांच अक्तूबर, 2016 को निलंबित करते हुए क्षेत्रीय अपर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं पटना प्रमंडल का कार्यालय निर्धारित किया गया. साथ ही उनके खिलाफ 12 जनवरी, 2017 के द्वारा विभागीय कार्रवाई आरंभ की गयी. उनके खिलाफ सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया है. इसके संकल्प की प्रति उनको डाक से भेजने का संकल्प जारी किया गया है. केस नंबर 3 यह केस सदर अस्पताल, बिहारशरीफ, नालंदा के तत्कालीन चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ राम कुमार प्रसाद का है. उन्होंने पदस्थापन के काल में ब्लड बैंक में आइवी से संक्रमित खून संग्रहित कर एवं दूसरे व्यक्ति को चढ़ाने के लिए आवंटित कर दिया. इसको लेकर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित करने का निर्णय लिया गया है. डाॅ प्रसाद से अपेक्षा की गयी कि वे संचालन अधिकारी के समक्ष आदेश की प्राप्ति के 10 कार्यदिवस के अंदर अथवा किसी भी समय जैसा कि संचालन पदाधिकारी अनुमति दे, स्वयं उपस्थित हों.
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