पटना : लॉकडाउन फोर के अंत व ऑनलाक वन के शुरुआत में पाबंदियों में मिल रही छूट के नतीजे सामने आने लगे हैं. मई के अंत में ही सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की सर्वे रिपोर्ट में यह बात निकल कर सामने आयी है. सीआइएमइ के सर्वे आंकड़ों के अनुसार सूबे में मई के अंत में 0.4 फीसदी बेरोजगारी दर कम हुआ है. मई के अंत में राज्य में कुल बेरोजगारी दर 46.2 फीसदी दर्ज की गयी है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है.
जानकार बताते हैं कि रोजगार दर में थोड़ा सुधार चल रहे उद्योगों को दोबारा खोलने, नौकरी में लोगों को लौटने, प्रवासियों को मनरेगा आदि से काम मिलने आदि के कारण हुआ है.झारखंड से बेहतर, दिल्ली तीसरे नंबर पररिपोर्ट में अनुसार सूबे में बेरोजगारी दर देश में दूसरा सबसे अधिक है. बिहार से अधिक झारखंड में मई के अंत में 59.2 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गयी थी. इसके बाद तीसरे नंबर पर दिल्ली में बेरोजगारी दर 44.9 फीसदी दर्ज किया गया है. वहीं रोजगार के मामले में उत्तराखंड,असम और ओडिसा की बेहतर स्थिति है.
उत्तराखंड में मात्र आठ फीसदी, असम में मात्र 9.6 फीसदी और ओडिसा में मात्र 9.6 फीसदी ही बेरोजगारी दर मई के अंत में दर्ज किया गया है.देश स्तर पर भी हो रहा सुधारसीआइएमइ के अनुसार देश के बेरोजगारी दर में ही अप्रैल व मई के मुकाबले मई के अंत से बेहतर स्थिति की ओर लौट रही है.आंकड़े बताते है कि दो जून को 23.20 फीसदी, 31 मई को 23.48 फीसदी और अप्रैल में 23.52 फीसदी बेरोजगारी दर रिपोर्ट किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन लागू होने के बाद देश में 21 मिलियन लोगों की नौकरी पूरे देश में जा चुकी है.किन सेंटरों में लौट रही रौनकराज्य में लॉकडाउन केंद्र व राज्य स्तर की विभिन्न योजनाएं लागू की गयी है. राज्य स्तर पर ग्रामीण कार्य, ग्रामीण विकास, जल संसाधन, वन, पर्यावरण एवं जलवायु विभाग, पथ निर्माण विभाग सहित अन्य विभाग को मिला कर एक दर्जन से अधिक योजनाओं में आठ लाख रोजगार का सृजन किया गया है. केवल मनरेगा के तहत 10 लाख से अधिक रोजगार का सृजन किया गया है. कृषि क्षेत्र में कई अरब का अनुदान मिल चुका है.
Posted by Pritish sahay