प्रभात खबर टोली : कोरोना महामारी को लेकर लगाये गये श्रावण मास में सामूहिक पूजा-पाठ और भीड़ पर प्रतिबंध से श्रद्धालु मायूस हैं. वहीं, मंदिर प्रबंधन की ओर से कई मंदिरों में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. हालांकि, इस दौरान मंदिर में पूजा-पाठ होता रहेगा. बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने भी बिहार के सभी शिव मंदिरों में भीड़ नहीं लगने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. साथ ही सभी जिलाधिकारियों से भी केंद्र सरकार के आलोक में दिशा-निर्देशों का पालन करने की बात कही है.
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बिहार का देवघर कहे जानेवाले लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में इस साल श्रावणी मेले का आयोजन नहीं किया जायेगा. मेले को लेकर श्री इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की बैठक भी हुई है. कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के आलोक में जिलाधिकारी शोभेंद्र कुमार चौधरी ने निर्देश जारी किया है. बैठक में सिर्फ सरकारी पूजन के लिए ही मंदिर के गर्भगृह को खोलने की बात कही गयी है. आम श्रद्धालु मंदिर के दरवाजे पर से ही बाबा भोलेनाथ का दर्शन कर सकेंगे. मालूम हो कि श्रावणी मेले में हर सोमवार को श्रद्धालु बड़हिया और सिमरिया गंगाघाट से जल भरकर कांवर यात्रा कर अशोक धाम पहुंच कर शिवलिंग का जलाभिषेक करते रहे हैं.
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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच इस साल सावन माह में शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित शिव मंदिरों में शर्तों और सावधानियों के साथ भक्त भगवान शंकर का दर्शन कर सकेंगे. मार्कंडेय शिव मंदिर के पुजारी अमरनाथ गिरि ने बताया कि अनलॉक डाउन के पहले चरण में आठ जून से जिला प्रशासन द्वारा तय शर्तों और गाइड लाइन के आधार पर मंदिर में श्रद्धालुओं को आने की अनुमति है. बिना मास्क के श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश नहीं है. पुजारी अमरनाथ गिरि ने बताया कि छह जुलाई को पहली सोमवार के साथ सावन महीने की शुरुआत होने से भक्तों की भीड़ अधिक होने की संभावना है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कार्यकर्ताओं को लगाया जायेगा.
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सावन मास में आस्था पर कोरोना संक्रमण भारी पड़ रहा है. श्रावण मास में बाबा हरिहरनाथ का जलाभिषेक इस साल श्रद्धालु नहीं कर पायेंगे. विश्वप्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र के सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर मे कोरोना संक्रमण को देखते हुए हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष गुप्तेश्वर पांडेय के नेतृत्व में बैठक हुई. इसमें निर्णय किया गया कि तीन जुलाई से मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए अगले आदेश तक बंद रहेगा. इसी के साथ सैकड़ों वर्षों से हरिहर क्षेत्र सोनपुर में लगनेवाले श्रावणी मेले पर ग्रहण लग गया है. पहलेजा धाम से जल लेकर कांवरिया हरिहरनाथ मंदिर पहुंच कर गरीब स्थान के बाबाधाम स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
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उत्तर बिहार की प्रसिद्ध शिवनगरी बाबा कुशेश्वरधाम में लगनेवाले श्रावणी मेले पर कोरोना महामारी का ग्रहण लग गया है. इस साल ना तो मेला लगेगा और ना ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकेंगे. मंदिर कंटेंमेंट जोन में है. इससे बाबा के भक्तों में अभी से निराशा गहरा गया है. मालूम हो कि सावन में लाखों श्रद्धालु शिवनगरी पहुंच कर बाबा कुशेश्वरनाथ का जलाभिषेक करते हैं. सावन में एक से डेढ़ लाख शिवभक्त कांवरिया पड़ोसी देश नेपाल तक से पहुंचते हैं. लेकिन, इस साल यह नजारा नहीं दिखेगा. बाजार समेत प्रखंड में 53 कोरोना पॉजिटिव पाये जाने से इलाका कंटेंमेंट जोन घोषित है. यहां श्रद्धालुओं के आने व पूजा-अर्चना में पूर्ण पाबंदी है.
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पांडवकालीन इतिहास को संजोये अररिया जिले के सुदंरनाथ धाम शिव मंदिर में श्रावण मास में अयोजनों पर विराम लग गया है. इस बार श्रावण मास में सोशल डिस्टैंस को मेंटेन रखते हुए विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जायेगी. मंदिर का प्रबंधन धार्मिक न्यास समिति करती है. इसलिए पूजा सहित अन्य कार्यों का निर्णय धार्मिक न्यास समिति के सदस्य ही करते हैं. सुंदरनाथ मंदिर के वर्तमान अध्यक्ष पूर्व राज्यमंत्री सह सिकटी विधायक विजय कुमार मंडल ने बताया कि धार्मिक न्यास समिति के सदस्यों की बैठक शनिवार को आयोजित की गयी है. बैठक में फैसला होगा कि आगे क्या करना है. पूजा तो होगी, लेकिन भीड़-भाड़ नहीं लगे और विधि व्यवस्था बनाये रखा जाये, इस पर चर्चा होगी.
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कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ते मामले को लेकर इस साल सावन माह में शिवालयों में भक्त जलाभिषेक नहीं कर पायेंगे. सामाजिक दूरी के अनुपालन को लेकर इस साल शुरू हो रहे सावन माह में एक माह तक शिवालयों में पूजा-पाठ नहीं हो पायेगी. प्रसिद्ध शिवालयों में कपिलेश्वर स्थान रहिका, एकादश रुद्र मंगरौनी, महादेव स्थान भैरवा बिस्फी सहित जिले के सभी शिवालयों में शिवलिंगों पर जलाभिषेक की अनुमति नहीं दी गयी है. एकादश रुद्र मंदिर मंगरौनी के पंडित आत्माराम ने बताया कि बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के निर्देश पर शिवालयों में रोक लगायी गयी है. भक्त शिवालयों के अंदर गर्भगृह में जलाभिषेक ना कर सकें, इसकी व्यवस्था मंदिर प्रबंधन करेगा.
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सीवान जिले के सिसवन प्रखंड के मेंहदार स्थित प्राचीन महेंद्रनाथ शिव मंदिर में इस साल श्रावण महीने में लगनेवाले मेले पर कोरोना का ग्रहण लग गया है. सिसवन के अंचलाधिकारी ने मेले के दौरान श्रद्धालुओं के अधिक संख्या में आने पर कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण की आशंका जतायी है. सीओ ने जिलाधिकारी को पत्र लिख कर श्रावण मेले का आयोजन नहीं करने और श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूर्णत: रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने छह जुलाई से आठ अगस्त तक मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद रखने की सलाह दी है. सिविल सर्जन और एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण के कारण श्रावणी मेले में शिव भक्तों की भीड़ के मद्देनजर पूर्णतः बंद रखना ही श्रेयस्कर बताया है.
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विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले पर संशय के बादल मंडराने के साथ बांका जिले के व्यवसायियों के रोजगार पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है. मालूम हो कि विश्व प्रसिद्ध मेले में प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु प्रतिदिन पैदल चलकर सुल्तानगंज से देवघर पहुंच कर जल अर्पित करते हैं. पैदल पथ का अधिकतम क्षेत्र बांका जिले में ही पड़ता है. कांवरिया मार्ग में कई प्रकार के व्यवसाय खासकर होटल, चाय, पानी इत्यादि की दुकानें बड़ी संख्या में जिले के लोग लगाते हैं. जानकार बताते हैं कि कांवरिया पथ में प्रतिवर्ष करीब 50 हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार करते हैं. खाली और बंजर जमीन का भी किराया हजारों में हो जाता है. एक अनुमान के मुताबिक सावन में अरबों का कारोबार होता है. मेले पर प्रतिबंधित से बड़ा नुकसान हो सकता है.
Posted By : Kaushal Kishor