मनोज कुमार, पटना केंद्र सरकार ने खेती व किसानों के लिए बनी कई योजनाओं में दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार को कम राशि दी है. नवाचारी तकनीकों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाये गये कृषोन्नति योजना में बिहार को केवल 67 करोड़ रुपये ही मिले हैं. जबकि राजस्थान को 389 करोड़, मध्य प्रदेश को 435, महाराष्ट्र को 349 तथा कर्नाटक को 392 करोड़ रुपये दिये गये हैं. किसानों के प्रयासों को सहयोग कर जोखिम कम करने की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में बिहार को मात्र 78 करोड़ रुपये मिले हैं. अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने की सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन योजना में बिहार को त्रिपुरा और नागालैंड से भी कम राशि मिली है. इस योजना के लिए कर्नाटक को 125, महाराष्ट्र को 115, तमिलनाडु को 100, नागालैंड को 53.25 और त्रिपुरा को 35.20 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि बिहार को 30.93 करोड़ रुपये ही मिले हैं. एकीकृत बागवानी विकास मिशन के क्रियान्वयन के लिए बिहार को 50 करोड़ रुपये ही मिले हैं, जबकि तमिलनाडु को 205, आंध्र प्रदेश को 188, छत्तीसगढ़ को 174, पंजाब को 150 करोड़ रुपये मिले हैं. बिहार सरकार ने योजनाओं का पूर्ण विवरण देकर केंद्र से राशि की मांग की है. कई योजनाओं को मंजूर भी किया केंद्र ने कई योजनाओं की मंजूरी भी दी है. पटना में एपीडा कार्यालय, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर में शहद के अनुसंधान तथा टेस्टिंग लैब, मखाना के निर्यात के लिए अलग कोड की स्वीकृति भी दी है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की दूसरी किस्त 45 करोड़ रुपये जारी कर दिये हैं. मखाना तथा मक्का अनुसंधान केंद्र के सुदृढ़ीकरण की भी स्वीकृति दी है.
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