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बिहार में कागजों पर है 200 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियां, कई दलों के तो नाम भी नहीं सुने होंगे आप

बिहार में लोकसभा चुनाव में हर बार दर्जनों राजनीतिक पार्टियां उतरती हैं. इस बार भी कई नये राजनीतिक दलों ने अपना निबंधन कराया है. आंकड़ों की बात करें तो बिहार में करीब 200 ऐसे दल हैं जो निबंधित हैं. इनमें से कई दलों के नाम तक लोग नहीं जानते हैं.

पटना. लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद राजनीतिक दलों की हलचल बढ़ गई है. चुनाव आयोग ने पिछले दिनों प्रशांत किशोर की जन स्वराज पार्टी को निबंधित किया है. बिहार में एक नहीं सैकड़ों की संख्या में ऐसे राजनीतिक दल हैं, जिनका वजूद सिर्फ कागजों में ही सिमटा हुआ है. बिहार में ऐसे दलों की संख्या 200 से अधिक है. ये चुनाव आयोग में निबंधित तो हैं, लेकिन इन्हें मान्यता नहीं मिली हुई है. देश में ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों की संख्या 2796 है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि 8 फीसदी ऐसे दलों की संख्या बिहार में ही मौजूद है. इन पार्टियों के नाम भी ऐसे हैं, जिन्हें शायद ही किसी ने कभी सुना होगा. सबसे ज्यादा पटना के कागजी पते पर ही पार्टियों के कार्यालय मौजूद हैं. चुनावी समर में कुछ सीटों पर इनमें कुछ एक पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में ताल ठोकते भी हैं, लेकिन इस घमासान में किसी की कोई पहचान नहीं बन पाती है. कइयों के निबंधित पते पर तो इनका कोई नामो-निशान तक नहीं है.

विचार से अधिक क्षेत्र पर आधारित नामों की पार्टी

बिहार में पंजीकृत कई पार्टियां विचारवादी हैं तो कई पार्टियां क्षेत्रवादी. बिहार के मिथिला क्षेत्र से सर्वाधिक दलों का निबंधन हो रखा है. दरभंगा स्थित मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा एवं मिथिलांचल विकास मोर्चा, मधुबनी स्थित मिथिलांचल विकास मोर्चा और मिथिलावादी पार्टी जैसी पार्टियां मौजूद हैं. समस्तीपुर के पते पर निबंधित आदर्श मिथिला पार्टी भी है. कई गैर मान्यता प्राप्त कागजी पार्टियां ऐसी भी हैं, जिनके नाम में भाषा या क्षेत्र का आस्वाद शामिल है. जमुई स्थित अखंड झारखंड पीपुल्स फ्रंट, पटना के पुरंदरपुर के पतेपर अखिल भारतीय देश भक्त मोर्चा, मुजफ्फरपुर के पतेपर अखिल भारतीय मिथिला पार्टी, कटिहार में मौजूद अंगिका समाज पार्टी, पूर्णिया की अपना अधिकार पाटी आदि. पटना, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, भागलपुर, हाजीपुर समेत अन्य शहरों के पते पर इन पार्टियों के कार्यालय मौजूद हैं.

आपस में मिलते-जुलते दिखते हैं कुछ दलों के नाम

इन कागजी पार्टियों का वजूद भले ही नहीं हो, लेकिन इनके नाम में कोई कमी नहीं है. इनमें कुछ इस तरह हैं, भागलपुर के पते पर निबंधित आम अधिकार मोर्चा, हाजीपुर के पते पर मौजूद आम जन पार्टी (सेकुलर), पटना के बहादुरपुर हॉउसिंग कॉलोनी के पते पर स्थित आम जनमत पार्टी, पटना के बेली रोड में जगदेव पथ स्थित आम जनता पार्टी राष्ट्रीय. कुछ के नाम बड़ी पार्टियों से मिलते-जुलते हैं. कुछ पार्टियों के नाम के कुछ शब्द आगे पीछे करने पर पटना के अलावा दूसरे राज्यों में भी ऐसी कागजी पार्टियों की मौजूदगी मिलती है. मसलन, पटना के गुलजारबाग के पते पर मौजूद अखंड भारतीय जनप्रिय पार्टी. इसमें थोड़ा फेर-बदल करके इससे मिलती कुछ पार्टियां अलग-अलग राज्यों में हैं. आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में मौजूद अखंड भारत नेशनल पार्टी, यूपी के मथुरा में अखंड भारत पार्टी, दिल्ली के सुल्तानपुरी के पते पर मौजूद अखंड भारत समाज पार्टी देखने को मिलती है.

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आधार वोट नहीं, पर हर चुनाव में ताल ठोकते हैं छोटे दल

लोकसभा चुनाव में कई छोटे दल अपना ताल ठोक रहे हैं. इन दलों का वोट प्रतिशत शून्य और शून्य दशमलव एक प्रतिशत रहा है. पिछले वर्ष बिहार के सभी लोस क्षेत्रों में ऐसे दलों ने अपनी उम्मीदवारी दी थी. एडीआर की रिपोर्ट में इन दलों को गैर मान्यता प्राप्त बताया गया है. इन दलों ने एक से 25 उम्मीदवार तक पिछले लोस चुनाव में उतारे थे. एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि इन दलों के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में भी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कई ऐसे छोटे दलों के प्रत्याशी खड़े हुए थे.

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