शशिभूषण कुंवर, पटना राज्य में शहरीकरण का सर्वाधिक असर पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया प्रखंड पर पड़ा है. राज्य में बढ़ते शहरीकरण के कारण ग्राम पंचायतों की संख्या में तेजी से गिरावट हो रही है. विकास के दौर में करीब 300 से अधिक ग्राम पंचायतों का विलय नगरपालिका क्षेत्रों में हो चुका है. राज्य का सबसे बड़ा नगर निगम पटना के होने के बाद भी पटना सदर प्रखंड के तहत अब भी सात ग्राम पंचायत अस्तित्व में हैं. उधर, बेतिया नगर परिषद का उत्क्रमण कर जैसे ही नगर निगम क्षेत्र घोषित किया गया. इसके साथ ही बेतिया सदर प्रखंड के तहत आने वाली आठ ग्राम पंचायतों का विलय बेतिया नगर निगम क्षेत्र में हो गया. इसके कारण इस प्रखंड में न कोई मुखिया है और न ही पंचायत समिति सदस्य व प्रखंड प्रमुख हैं. बेतिया नगर निगम क्षेत्र घोषित होने के बाद ग्राम पंचायत बानुछापर, करगहिया पूर्व, पीपरा पकड़ी, गोनौली, बरबत प्रसराइन, बरबत सेना, अवहर मझरिया और सन सरैया ग्राम पंचायत का पूर्ण विलय बेतिया नगर निगम क्षेत्र में हो गया है. अब बेतिया सदर प्रखंड में कोई भी ग्राम पंचायत नहीं बची है. इन ग्राम पंचायतों में कुल 19 गांव शामिल थे , जो अब शहरी क्षेत्र बन गये हैं. पटना सदर प्रखंड में अब भी सात ग्राम पंचायतें सदर प्रखंड बेतिया में अब नगर निगम क्षेत्र में आने के बाद इसके विकास की सभी गतिविधियां निगम क्षेत्र के मेयर और कार्यपालक पदाधिकारी के पास चली गयी हैं. इधर, राजधानी पटना के सदर प्रखंड में कई ग्राम पंचायतों का विलय तो हो गया है. इसके बावजूद पटना सदर प्रखंड में अभी तक सात ग्राम पंचायत बची हुई हैं. पटना सदर प्रखंड में अभी तक जो ग्राम पंचायत का अस्तित्व बचा है, उनमें फतेहपुर, महुली, मराची, नकटा दियारा, पूनाडीह, सबलपुर और सोनवापुर ग्राम पंचायत शामिल हैं. पटना सदर के इन ग्राम पंचायतों में कुल 102 निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. पटना सदर प्रखंड में निर्वाचित मुखिया, निर्वाचित पंचायत समिति सदस्य, निर्वाचित प्रमुख और निर्वाचित जिला परिषद सदस्य अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं.
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