संवाददाता, पटना घाघा, रानी और बरहरवा घाट पर से गाद निकालने में मजदूरों और घाट ठेकेदार के पसीने छूट रहे हैं. बीते माह भरी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़कर डेंजर लेवल के पास पहुंचने पर इन तीनों घाट पर ऊपर तक गंगा का पानी आ गया था जिसके कारण घाट की सीढ़ियां ही नहीं, प्लेटफार्म का एक बड़ा हिस्सा भी पानी में डूब गया था. गंगा का पानी घटने के बाद सीढ़ियों के ऊपर का पानी वापस हो गया. लेकिन पानी में मिले मिट्टी और कीचड़ का एक मोटा परत उस पूरे क्षेत्र में फैल गया जहां पानी लगा था. घाट पर लोगों के खड़े होने के लिए बने प्लेटफॉर्म और सीढ़ियों पर लगे मिट्टी की मोटी परत को तो घाट ठेकेदार ने मजदूर लगा कर साफ करवा दिया है, लेकिन अंतिम सीढ़ियों के पास से आगे 10 से 15 फीट तक गाद की मोटी परत अभी भी जमी है. दलदल के कारण कीचड़ को काटकर हटाने में हो रही परेशानी बाढ़ के पानी के वापस लौटने के बाद गाद तो गंगा के कई अन्य घाटों पर भी जमी है और वंशी घाट, काली घाट आदि पर उन्हें कुदाल से कपचकर निकालने का काम भी हो रहा है. लेकिन इन तीनों घाटों पर कीचड़ और गीली मिट्टी की इतनी मोटी परत है कि वह दलदल का रूप ले चुका है और उसके भीतर प्रवेश कर उसे कपचना संभव नहीं है . पानी घटने पर और भी बढ़ेगा कीचड़ गंगा का पानी घटने पर नदी की धारा और पीछे हटेगी, इससे यह अपनी गंदगी किनारे पर ही छोड़ जायेगी. गंगा के जलस्तर में अभी एक मीटर तक की कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है. इससे नदी की धारा इन घाटों पर सात-आठ मीटर तक पीछे चली जायेगी. ऐसे में जेपी पथ के नीचे बहने वाली घारा के समीप खड़े होकर इन घाटाें पर छठ व्रति अर्घ्य देंगे. लेकिन वहां तक पहुंचना तभी संभव हो सकेगा जब इन धाटों से कीचड़ पूरी तरह साफ कर दिया जाये और ऊपर से गंगा बालू डालकर उसे फिसलन रहित कर दिया जाये. पंप से नदी में फेका जा रहा गाद को इन घाटों पर गाद को हटाने के लिए घाट ठेकेदार और नगर निगम के कर्मियों ने एक नया तरीका खोजा है. यहां नाव के सहारे नदी की तरफ से पंप लगाकर वे गाद के किनारे वाले हिस्से से पानी खींच रहे हैं जिससे उसके अगल बगल का गाद उसमें गिर कर पंप हो रहा है. उमीद है इस विधि से अगलीे तीन चार दिनों में इन घाटों के गाद का एक बड़ा हिस्सा निकाला जा सकेगा.
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