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बिहार में 17 हजार से अधिक शिक्षक गायब, 569 की नौकरी जाना तय

अप्रैल से बिहार के 71,863 प्रारंभिक विद्यालयों और 9,360 माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की निगरानी और कड़ी होगी. इस बीच, शिक्षा विभाग के रडार पर 17,600 शिक्षक हैं जो पद ग्रहण करने के बाद से गायब हैं. ऐसे शिक्षकों की खोज-खबर लेने और उनपर विधि- सम्मति कार्रवाई तेज करने का निर्देश विभाग ने संबंधित अधिकारियों को दे दी है.

पटना. बिहार में स्कूली शिक्षा को लेकर बड़े क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. शिक्षा विभाग के प्रयास से स्कूलों में न केवल आधारभूत संरचनाएं ठीक हुई हैं, बल्कि बच्चों के स्कूल छोड़ने की प्रवृति भी शून्य तक पहुंच चुकी है. ऐसे में शिक्षा विभाग नये शैक्षणिक सत्र को लेकर विशेष रूप से तैयारी करते दिख रहा है. विभागीय सूत्रों की माने तो अप्रैल से बिहार के 71,863 प्रारंभिक विद्यालयों और 9,360 माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की निगरानी और कड़ी होगी. इस बीच, शिक्षा विभाग के रडार पर 17,600 शिक्षक हैं जो पद ग्रहण करने के बाद से गायब हैं. ऐसे शिक्षकों की खोज-खबर लेने और उनपर विधि- सम्मति कार्रवाई तेज करने का निर्देश विभाग ने संबंधित अधिकारियों को दे दी है.

प्रधानाध्यापकों को देना होगा हर दिन का शैक्षणिक रिपोर्ट

शिक्षा विभाग का कहना है कि ऐसे फरार शिक्षकों को पहले वेतन कटौती के रूप में दंडित किया जा रहा है, लेकिन जो छह माह से लेकर दो साल तक से फरार रहे हैं, उन 582 शिक्षकों को बर्खास्तगी की अनुशंसा की गई है. इतना ही नहीं गायब शिक्षकों की न केवल वेतन में कटौती होगी, बल्कि उनकी वरीयता भी कम कर दी जायेगी. ऐसे शिक्षकों की सेवा पुस्तिका में नियमित सेवा नहीं देने का उल्लेख होगा और इसका सीधा असर शिक्षकों के वेतन में वृद्धि से लेकर प्रोन्नति पर पड़ेगा. इस मामले में शिक्षा विभाग शिक्षकों के प्रति सख्त है और किसी प्रकार की नरमी की उम्मीद तत्काल नहीं दिख रही है. नये सत्र अप्रैल से सभी विद्यालयों की शैक्षणिक रिपोर्ट तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी देना अनिवार्य किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी संबंधित प्रधानाध्यापक के ऊपर होगी.

छह माह से अधिक गायब रहने पर जायेगी नौकरी

शिक्षा विभाग को सभी 38 जिलों से मिली निगरानी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में छह माह से कम समय लेकर दो साल से भी अधिक अवधि से विद्यालयों से बिना सूचना दिए 17,600 शिक्षक फरार रहे हैं. इसमें 13 शिक्षकों बर्खास्त किया गया है. इसमें भोजपुर के 3, नवादा के 8, सारण एवं सुपौल के 1-1 शिक्षक हैं. जबकि 235 शिक्षकों को निलंबित करने की अनुशंसा की गई है. वहीं बीते सप्ताह 2185 शिक्षकों के वेतन कटौती करने का निर्देश दिया गया है. 16,418 ऐसे शिक्षक हैं, जो छह माह से कम समय से विद्यालयों से फरार चल रहे हैं. वहीं 586 ऐसे शिक्षक हैं, जो छह माह से लेकर दो साल से ज्यादा समय से गायब हैं.

बिहार के 19 जिलों से 569 शिक्षकों की जायेगी नौकरी

बिहार के 19 जिलों के 569 शिक्षकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई हेतु अनुशंसा की गई है. इसमें अरवल के 2, बांका के 32, औरंगबाद के 19, बेगूसराय के 22, भागलपुर के 21, भोजपुर के 24, दरभंगा के 54, पूर्वी चंपारण के 39, गया के 46, खगडिय़ा के 19, कटिहार के 23, मुजफ्फरपुर के 19, नालंदा के 38, नवादा के 23, पटना के 53, पूर्णिया के 24, सहरसा के 23, वैशाली के 13, पश्चिम चंपारण के 12 शिक्षक हैं.

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दरभंगा के 2987 तो सारण के 1676 शिक्षक गायब

अररिया के 657, औरंगाबाद के 1078, बांका के 12, अरवल के 13, बेगूसराय के 508, भागलपुर के 475, भोजपुर के 38, बक्सर के 325, दरभंगा के 2987, पूर्वी चंपारण के 456, गया के 386, गोपालगंज के 453, जमुई के 373, जहानाबाद के 90, किशनगंज के 96, कैमूर के 765, कथ्अहार के 34, लखीसराय के 86, मधुबनी के 667, मुंगेर के 23, मधेपुरा के 32, मुजफ्फरपुर के 367, नालंदा के 2296, नवादा के 547, पटना के 126, पूर्णिया के 35, रोहतास के 334, सहरसा के 23, समस्तीपुर के 523, शिवहर के 6, शेखपुरा के 57, सारण के 1676, सीतामढ़ी के 539, सुपौल के 728, सीवान के 13, वैशाली के 197, पश्चिमी चंपारण के 34 शिक्षक हैं.

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