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Bihar Land Survey: जमीन के पूरे दस्तावेज नहीं हैं तो करें ये काम, पक्ष रखने के मिलेंगे तीन मौके

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे के दौरान किसी तरह की आपत्ति के लिए राजस्व विभाग रैयतों को तीन मौके देगा. जिसमें कागत पूरे करने से लेकर अन्य आपत्ति तक दर्ज कराई जा सकेगी.

Bihar Land Survey: बिहार में भूमि विवाद को रोकने और जमीन के रिकार्ड को पारदर्शी बनाए जाने के लिए सरकार ने विशेष भूमि सर्वेक्षण की शुरूआत की है. राज्य के 45 हजार से अधिक गांवों में इसकी प्रक्रिया चल रही है. जमीन सर्वे के दौरान आम लोगों को अपना पक्ष रखने के तीन अवसर मिलेंगे. यह प्रक्रिया सर्वे के दौरान काफी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इससे समय रहते किसी विवाद का हाल किया जा सकेगा.

पहला अवसर

पक्ष रखने के लिए दिए गए पहले अवसर में, यदि आवेदक यानि जमीन मालिक के पास पूरे कागजात नहीं हैं, तो भी वे अपनी जमीन की स्वघोषणा यानि सेल्फ डिक्लेरेशन कर सकते हैं. यह एक आसान प्रक्रिया है, जिसमें आवेदन दस्तावेजों की कमी के बावजूद जमीन पर अपना दावा दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद आपको कागजात पूरा करने का मौका मिलेगा.

दूसरा अवसर

दूसरे अवसर के तौर पर यदि आपके पास जमीन के कागजात पूरे हैं, तो आवेदक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के शिविरों में या फिर संबंधित अमीन को सभी दस्तावेज जमा करा सकते हैं.

तीसरा अवसर

तीसरा अवसर वो है, जिसमें आवेदक के पास अपील करने का मौका होगा. दोनों अवसरों में मौका चूक जाने और सर्वे (रिकॉर्ड ऑफ राइट) के लिए जारी ड्राफ्ट प्रकाशन में आपका नाम नहीं होने पर या यदि आपको लगता है कि आपका पक्ष नहीं सुना गया है तो आप अपील कर सकते हैं. सुनवाई के दौरान भी दस्तावेज पेश कर सकते हैं.

ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से होगी प्रक्रिया

पक्ष रखें की यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पूरी की जा सकती है. जिससे आम जनता को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके. यह जानना जरूरी है कि ड्राफ्ट रिकॉर्ड ऑफ राइट्स से पहले प्रकाशित किया जाता है.

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क्या है सर्वे का मकसद

इस सर्वे का मकसद जमीन के रिकॉर्ड को और भी पारदर्शी बनाना है. इससे न सिर्फ जमीन से जुड़े विवाद कम होंगे, बल्कि यह भी पता चल सकेगा कि जमीन का असली मालिक कौन है. साथ ही, सरकार को यह जानने में मदद मिलेगी कि बिहार में कितनी जमीन सरकारी है और उस पर किसका कब्जा है. सर्वे से जमीन की सही मापी हो सकेगी और मालिकों के अभिलेखों का सत्यापन हो सकेगा. इससे भूमि विवाद कम होंगे. सर्वे के बाद सभी अभिलेखों का डिजिटलीकरण हो जायेगा. डिजिटल दस्तावेजों में संशोधन करना आसान हो जायेगा. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता आयेगी.

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