27 जनवरी तक केवल 49 फीसदी हुई भू-लगान की वसूली

राज्य में इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व संग्रहण (भू-लगान) की वसूली निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2025 1:19 AM

इस वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रहण की वसूली निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई संवाददाता, पटना राज्य में इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व संग्रहण (भू-लगान) की वसूली निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई है. यह 27 जनवरी 2025 तक करीब 49 फीसदी थी. इसे लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखकर इससे संबंधित जानकारी साझा की है. साथ ही निर्धारित लक्ष्य की वसूली करने की दिशा में कार्रवाई का निर्देश दिया है. इसके तहत भू-राजस्व संग्रहण के लिए व्यापक रूप से जमाबंदी धारकों को जागरूक किया जायेगा. बकाया लगान भुगतान के संबंध में रैयतों को प्रेरित करने के लिए राजस्व कर्मचारी के स्तर पर प्रत्येक हल्का में कैंप लगाया जायेगा. इसके साथ ही राज्यस्तर पर बची हुई सभी जमाबंदियों में अंतिम लगान का विवरण दर्ज किया जायेगा और भू-राजस्व संग्रहण की कार्रवाई इन जमाबंदियों से की जायेगी. सूत्रों के अनुसार हाल में मुख्य सचिव, बिहार के स्तर पर भू-लगान वसूली की समीक्षा की गयी. इसमें पाया गया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य 600 करोड़ के विरुद्ध 27 जनवरी , 2025 तक केवल 296.50 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. इसके साथ ही यह भी जानकारी मिली कि भू-लगान वसूली की कार्रवाई केवल 20.97 प्रतिशत सृजित जमाबंदी से ही हुई है. इस समय राज्य में लगभग 48 लाख जमाबंदी में अंतिम लगान का विवरण दर्ज नहीं है. 23-28 दिसंबर, 2024 तक चला था अभियान इस संबंध में विभाग के निर्देश पर ऑनलाइन जमाबंदी में अंतिम लगान का विवरण दर्ज करने के लिए 23-28 दिसंबर, 2024 तक विशेष अभियान चलाया गया. इसमें संतोषजनक प्रगति नहीं हुई. ऑनलाइन भू-लगान जमा करने के लिए सभी अंचल कार्यालय स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर की सुविधा दी गयी है और इसे अधिकृत किया गया है. विभाग ने इन सभी सेंटरों का स्थानीय स्तर पर प्रसार-प्रचार करने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है. इसका लाभ आमलोगों को मिल सकेगा. बॉक्स सैरात बंदोबस्ती की वसूली भी लक्ष्य से कम राज्य में सैरातों की बंदोबस्ती से वसूली भी लक्ष्य से कम हुआ है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखकर इस संबंध में जांच और कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. साथ ही इसकी जिम्मेदारी अपर समाहर्ता को देने के लिए कहा गया है. गौरतलब है कि सरकारी बस स्टैंड, हाट-बाजार और मेला सैरात के दायरे में आते हैं. इनकी बंदोबस्ती से सरकार को राजस्व मिलता है.

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