Patna : 39 साल बाद अवैध तरीके से छात्रों को मैट्रिक परीक्षा में शामिल करने के मामले में दो आरोपित बरी
जाली कागजात तैयार कर अपात्र छात्रों को अवैध तरीके से मैट्रिक परीक्षा में शामिल करने के मामले में बिहार बोर्ड के तत्कालीन पदाधिकारी रत्नेश्वर झा व कन्हैया सिंह को निगरानी के विशेष कोर्ट ने बुधवार को बरी कर दिया. यह मामला 10 सितंबर, 1985 को दर्ज किया गया था.
न्यायालय संवाददाता, पटना: पटना निगरानी ट्रैप के विशेष जज मोहम्मद रुस्तम की अदालत ने निगरानी थाना कांड संख्या 16/1985 के पुराने मुकदमे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति गया के तत्कालीन पदाधिकारी रत्नेश्वर झा व कन्हैया सिंह को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. निगरानी द्वारा उक्त मामला 10 सितंबर, 1985 को दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप था कि अभियुक्तों ने नाजायज सांठगांठ कर अवैध छात्रों को जाली कागजात तैयार कर 1985 की मैट्रिक परीक्षा में शामिल कराया. जांच के क्रम में पाया गया कि आरएस हाइस्कूल, जमुहारी, गया में एक ही पंजीयन पर कई छात्रों के आवेदन भरे गये थे और बोगस पंजीयन नंबर पर छात्रों का पंजीयन करा कर समिति ने छात्रों के नाम, पता, पिता के नाम अवैध तरीके से भरकर उन्हें परीक्षा में बैठाया था. जांच में यह पता चला कि नियमित छात्रों की संख्या जहां 125 थी, वहीं, उस परीक्षा में 556 छात्रों को शामिल किया गया था. उक्त मामले में निगरानी ने प्राथमिकी में आरएस उच्च विद्यालय, जमुहारी के तत्कालीन प्रधानाध्यापक देवचंद सिंह व रामनरेश सिंह जिला शिक्षा पदाधिकारी, गया के हारून रशीद, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति गया के परीक्षा विभाग के पदाधिकारी रत्नेश्वर झा, हरि बल्लभ सिंह, दशरथ प्रसाद, कन्हैया सिंह व रामचंद्र सिंह के खिलाफ भादवि की धारा 120 बी 409, 467 ,468 ,471 ,477 ए, 420 एवं पीसी एक्ट की धाराओं मेंं मामला दर्ज किया था. निगरानी ने इस मामले में अनुसंधान के बाद 9 मई 1994 को आरोप पत्र दाखिल किया था. उक्त 30 वर्षों में निगरानी ने इस मामले में केवल आठ गवाहों को ही प्रस्तुत किया. समय के साथ-साथ इस मामले के अधिकतर नामित अभियुक्त मर गये. विचारण के समय केवल दो अभियुक्त रत्नेश्वर झा व कन्हैया सिंह के खिलाफ निगरानी मामले को साबित करने में नाकाम रही. विशेष कोर्ट ने उन्हें मामले से बरी कर दिया.
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