पटना : बिहार की राजनीति में वर्षों से सत्ताधारी दल का दर्जा पाये रही कांग्रेस को इन पांच सालों में शुक्रवार को तीसरा बड़ा झटका लगा है. पहले कांग्रेस 2017 में बिहार की सत्ता से बाहर हुई. इसके कुछ दिनों बाद पार्टी के चार विधान पार्षद दल छोड़ जेडीयू में शामिल हो गये. शुक्रवार को दो विधायकों के साथ छोड़ जाने से पार्टी एक बार फिर सकते में है.
2015 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर गोविंदपुर से निर्वाचित विधायक पूर्णिमा यादव और बरबीघा से निर्वाचित विधायक सुदर्शन कुमार ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. इधर, दोनों विधायकों के पार्टी छोड़े जाने की सूचना पर पार्टी का नेतृत्व हाथ मलते रह गया.
पिछले सप्ताह से दोनों विधायकों के निष्कासित करने पर चल रहा विचार ही समाप्त हो गया. पार्टी की रडार पर और भी ऐसे विधायक हैं, जिनकी निष्ठा को लेकर आरंभ से ही सवाल उठता रहा है.
कांग्रेसी कार्यकर्ता बताते हैं, यह तीसरी घटना है, जब पार्टी अपने ही नेताओं को संभालने में नाकाम रही. विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस एक-एक सीट के लिए जद्दोजहद में लगी है. सात सितंबर से वर्चुअल रैली कर रही है.
कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद्र मिश्रा ने विधायकों के पार्टी छोड़े जाने पर कहा कि इन दोनों विधायकों के जाने से पार्टी पे कोई असर नहीं पड़ेगा. इन दोनों को पिछले पांच सालों में कांग्रेस की गतिविधियों में कभी सक्रिय नहीं देखा गया.
पार्टी में वफादार और संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाले कार्य कार्यकर्ताओं को तरजीह देने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि दोनों विधायकों ने डूबते नाव पर सवारी की है. चुनाव में बीजेपी-जेडीयू की हार तय है.
आरजेडी और आरएलएसपी के नेताओं ने भी जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की. पूर्व मंत्री भोला राय, आरजेडी छोड़ कर जेडीयू में शामिल हो गये हैं. जबकि आरएलएसपी के प्रवक्ता अभिषेक झा ने भी जेडीयू की सदस्यता ली है. इन सभी नेताओं का प्रदेश जेडीयू कार्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद ललन सिंह, मंत्री अशोक चौधरी, मंत्री नीरज कुमार समेत अन्य नेताओं ने पार्टी की सदस्यता दिलायी और स्वागत किया.