नई दिल्ली : कोरोना की दो लहरों ने बिहार में तबाही मचाकर रख दी थी. अब तीसरी लहर के आने की आशंका जाहिर की जा रही है. पहली और दूसरी लहर के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के बाद बढ़ी संक्रमण दर से राज्य के चिकित्सा विभाग ने कुछ सबक ली है. तीसरी लहर में सूबे की बड़ी आबादी का बचाव कैसे किया जाएगा? इस मसले पर हमने पटना एम्स के निदेशक डॉ पीके सिंह से बात की. आइए, जानते हैं उन्होंने क्या सुझाव दिए हैं…
कोरोना की दूसरी लहर काफी गंभीर थी. पहली लहर में हमारे पास अधिकांश मरीज शहरी क्षेत्र से आए, लेकिन इस बार ग्रामीण इलाकों में अधिक संक्रमण देखने को मिला. दूसरी लहर ने ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी आबादी को भी प्रभावित किया, जहां पहली लहर का असर न के बराबर था. पिछले साल नेपाल से सटे कटिहार, पूर्णिया और रक्सौल में संक्रमण के मामले न के बराबर थे, लेकिन इस साल इन क्षेत्रों में संक्रमण दर अधिक थी. हालांकि, बिहार भोजपुर, भागलपुर, पटना, गया, नवादा, बेगूसराय और शेखपुरा जिले पहली और दूसरी लहर के दौरान ज्यादा प्रभावित रहे. अब हम रोजाना 90 से भी कम मरीज देख रहे हैं, मरीजों के ठीक होने की दर भी 96.4 फीसदी हो गई है.
जी, मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि कोविड अनुरूप व्यवहार (सीएबी) का पालन करने के मामले में लोग अधिक गंभीर नहीं हैं. यह बेहद दुखद है कि ग्रामीण इलाकों के लोग इसे नजरअंदाज करते हैं. उन्हें लगता है कि वह कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे और वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. लोगों को इसका महत्व समझना होगा. कोरोना की किसी भी लहर से हम तभी बच सकते हैं, जब व्यापक स्तर पर कोरोना का टीका लगवाया जाए और इसके बाद भी सीएबी का पालन किया जाए.
हां, हम मरीजों को सीएबी या कोविड अनुरूप व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हम उन्हें बताते हैं कि कोरोना से बचने के लिए किस तरह के व्यवहार का आदत में शामिल किया जाए. हम उन्हें प्रशिक्षित करते हैं कि कैसे संक्रमण बढ़ता है, तो उन्हें क्या नुकसान हो सकता है. यदि वह सीएबी का पालन नहीं करेगें, तो किस तरह वह अपने प्रियजनों को हमेशा के लिए खो देंगे. कोरोना की दूसरी लहर में इतना नुकसान देखने के बाद अब लोगों को समझ जाना चाहिए कि संक्रमण कितना गंभीर है और इससे बचने के लिए हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए. संक्रमण बढ़ने या घटने की संभावना के बीच हमें सीएबी पर ही विश्वास करना चाहिए.
पिछले साल ही कोरोना के मरीजों को देखते हुए हमने अपने डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग कैडर और अन्य तकनीकी स्टाफ को संक्रामक वायरस के लिए तैयार कर दिया था. संकट के दौर में विकट स्थिति से निपटने के लिए हमने अपनी तकनीकी और प्रशासनिक सुविधाओं को विकसित किया. हमने इसके लिए 80 से अधिक प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से 200 स्टाफ को प्रशिक्षित किया. इसमें हमने स्टाफ को क्लीनिकल मैनेजमेंट, सुरक्षा और एहतियात के बारे में बताया. हमने अपनी कुल बेड की क्षमता को बढ़ाया. कोरोना मरीजों को भर्ती करने के लिए लाने और ले जाने के लिए हमने एक्जिट या प्रवेश द्वार को दोबारा बदला, जिससे नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों.
पैरा मेडिकल स्टाफ को कोरोना प्रबंधन की जानकारी देने के लिए हमने ऑनलाइन क्लासेस आयोजित की. हमने जांच और मरीजों की भर्ती करने की प्रक्रिया को भी सुधारा, ताकि इलाज के सभी प्रोटोकॉल फॉलो किए जाएं. इसके लिए स्टॉफ को तैयार किया गया. अस्पताल में प्रयोग किए गए मेडिकल संसाधनों को किस तरह निस्तारित करना है. ग्लब्स और पीपीई किट को किस तरह विसंक्रमित रखना है. इसके साथ ही कोविड मृतक व्यक्ति को किस तरह मैनेज करना है. इन सभी विषयों पर काम किया गया. इन सभी उपायों से स्टॉफ कर्मियों का मनोबल बढ़ा तथा संस्थान की चिकित्सीय सुविधाएं उच्च दर्जे की हो पाईं.
कोविड मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया गया. कोविड वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को मानसिक रूप से तनाव में होने की अधिक संभावना रहती है. हमने प्रयास किया कि आइसोलेशन में रहने के बाद भी वह अपने परिजनों को से नियमित संपर्क में बने रहें. इसके लिए वार्ड में वीडियो कॉल की सुविधा दी गई. इन छोटे लेकिन महत्वपूर्ण प्रयासों के माध्यम से मरीज को घर जैसा माहौल दिया गया. कोविड की दूसरी लहर पहली लहर की अपेक्षा अधिक गंभीर थी. संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए मरीजों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया गया.
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण है. नये म्यूटेशन से कोविड की तीसरी लहर का खतरा लगातार बना हुआ है. प्रभावकारी टीकाकरण से कोविड संक्रमण की चेन को ही नहीं, बल्कि वायरस के म्यूटेशन को भी रोका जा सकता है. कोरोना की अन्य किसी भी लहर से बचने के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण और सीएबी का पालन करना ही बेहतर हथियार है. संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर में वायरस से लड़ने के लिए प्राकृतिक तौर एंटीबॉडी बन जाती है. एक सीरो सर्वेक्षण के जरिए यह देखा गया कि अधिकांश लोगों में वायरस के प्रति एंटीबॉडी देखी गई, लेकिन उन्हें कभी भी कोरोना के लक्षण महसूस नहीं हुए. ऐसे मरीज एसिम्टोमेटिक होकर पॉजिटिव पाए गए. इस स्थिति को देखते हुए हमें स्मार्ट टीकाकरण योजना तैयार करनी चाहिए. जिससे बहुत जरूरतमंद ऐसे लोग जो अभी तक कोविड पॉजिटिव नहीं हुए हैं, या जो जोखिम के खतरे के बीच हैं, उन्हें सबसे पहले कोविड का वैक्सीन दिया जाना चाहिए. स्मार्ट वैक्सीनेशन के माध्यम से कम समय में हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति हासिल की जा सकती है.
संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए राज्य सरकार की ओर से अस्पतालों में अलग से बच्चा वार्ड बनाया जा रहा है. अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाने की दिशा में कारगर कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इस तीसरी लहर से बचाव का केवल एकमात्र उपाय अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण कराना है. इसके पीछे का कारण यह है कि घर के बड़े लोगों को जितना अधिक टीका लग चुका होगा, उस घर के बच्चों को वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम रहता है, क्योंकि बच्चे बाजार या सार्वजनिक स्थल पर कम ही जाते हैं. बड़े-बुजुर्ग घर से बाहर निकलते हैं, जिनके माध्यम से घर में वायरस का संक्रमण आने का खतरा अधिक रहता है. अब यदि घर के बड़े सदस्य कोरोना रोधी टीका लगवा लेंगे, तो बच्चों को संक्रमित होने का खतरा कम रहता है. इसीलिए देश के चिकित्सा विशेषज्ञ राज्य सरकारों और देश के आम नागरिकों को जल्द से जल्द टीका लगाने के प्रति प्रोत्साहित कर रहे हैं. कोरोना का टीका ही तीसरी लहर से बचाव का एकमात्र उपाय है.
Posted by : Vishwat Sen
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.