यूजीसी अब देगा पीएचडी थीसिस एक्सीलेंस अवार्ड, एक से निबंधन

यूजीसी बेहतर पीएचडी थीसिस को अवार्ड देगा. इसके लिए शोधार्थियों को पीएचडी थीसिस एक्सीलेंस अवार्ड दिया जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | December 30, 2024 1:11 AM

संवाददाता, पटना

यूजीसी बेहतर पीएचडी थीसिस को अवार्ड देगा. इसके लिए शोधार्थियों को पीएचडी थीसिस एक्सीलेंस अवार्ड दिया जायेगा. यूजीसी ने कहा कि शोध में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह अवार्ड शुरू किया गया है. इसके लिए एक जनवरी से ऑनलाइन पोर्टल खुल जायेगा, जहां शोधार्थी पंजीकरण कर सकते हैं. चयनित 10 शोधार्थियों को पांच सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने बताया कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत की गयी है, जिसका उद्देश्य पीएचडी शोध कार्यों की गुणवत्ता में सुधार करना है. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में शोधार्थियों की संख्या में वृद्धि तो हुई है, लेकिन शोध की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है. शोधार्थियों को पीएचडी थीसिस एक्सीलेंस अवार्ड के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा. यूजीसी मेडिकल, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस, इंडियन लैंग्वेज, कॉमर्स, मैनेजमेंट स्ट्रीम के 10 शोधार्थियों को चुनेगा. गुणवत्ता युक्त शोध को चयन से पहले दो स्तर पर परखा जायेगा. पहले विश्वविद्यालयों की स्क्रीनिंग कमेटी और फिर यूजीसी की चयन समिति गुणवत्ता समेत अन्य मानकों की जांच करेगी. मूल्यांकन में मौलिकता, ज्ञान में योगदान, शोध पद्धति, स्पष्टता, प्रभाव और थीसिस की समग्र प्रस्तुति को परखा जायेगा. विश्वविद्यालयों को सालाना पांच विषयों में से प्रत्येक में से एक, अधिकतम पांच थीसिस को नामांकित करने की अनुमति होगी. साल दर साल शोध में करीब 10 फीसदी की हो रही है बढ़ोतरी प्रो कुमार ने कहा कि साल दर साल शोध में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. इसमें से भी साइंस स्ट्रीम में आंकड़ा सबसे अधिक है. उदाहरण के तौर पर 2010-11 में पीएचडी पाठ्यक्रमों में कुल 77,798 दाखिले हुए जबकि 2017-18 तक यह आंकड़ा 161,412 पार कर गया. इससे पता चलता है कि पीएचडी में दोगुने दाखिले हो रहे हैं. यह सालाना 10 फीसदी वृद्धि को दर्शाता है. साइंस स्ट्रीम में सबसे अधिक 30 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में 26 फीसदी, सोशल साइंस में 12 फीसदी, इंडियन लैंग्वेज व मैनेजमेंट में छह-छह फीसदी, एग्रीकल्चरल साइंसेज में चार, मेडिकल साइंसेज व एजुकेशन में पांच-पांच फीसदी, कॉमर्स व फॉरेन लैंग्वेज में तीन-तीन फीसदी की वृद्धि हुई है. इसी के मद्देनजर, गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए यह योजना बनायी गयी है. प्रो कुमार का मानना है कि यह कदम न केवल शोधार्थियों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि भारत में शोध संस्कृति को भी नयी दिशा प्रदान करेगा.

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