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गुरु जी के कारनामों से शिक्षा विभाग अवाक, बिना नियम के ग्रेस देकर 354 फेल अभ्यर्थियों को करायी पीएचडी

गुरु जी के कारनामों से शिक्षा विभाग अवाक, बिना नियम के ग्रेस देकर 354 फेल अभ्यर्थियों को करायी पीएचडी

– विश्वविद्यालयों के ऑडिट में करोड़ों की खर्च राशि का हिसाब-किताब नहीं मिला

राजदेव पांडेय ,पटना

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक -दो नहीं, बल्कि 354 असफल (फेल) पीएचडी अभ्यर्थियों को ग्रेस अंक देकर पास कर दिया गया है. विश्वविद्यालय के इस कारनामे का खुलासा महालेखाकार की विशेष जांच रिपोर्ट में हुआ है. किस नियम के तहत फेल अभ्यर्थियों पर पास करने की मेहरबानी की गयी, इसका साक्ष्य विश्वविद्यालय नहीं दे सका है. यह मामला अब राजभवन पहुंचा है. ऑडिट संबंधी यह जानकारी शिक्षा विभाग की हालिया एक रिपोर्ट में सामने आयी है.

रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल को इस आशय की समूची जानकारी का प्रतिवेदन नौ जनवरी 2023 को भेजा गया है. इस मामले में उचित कार्यवाही का इंतजार किया जा रहा है. इस विवि में चार करोड़ से अधिक की राशि का भी हिसाब-किताब मिलना बाकी है. महालेखाकार की हालिया एक आधिकारिक रिपोर्ट में कई अन्य विश्वविद्यालयों की वित्तीय गतिविधियों के मामले में गंभीर आपत्तियां उठायी हैं. सबसे अहम आपत्ति 18 करोड़ से अधिक की वित्तीय हिसाब-किताब ( सामंजन) सालों से लटका होना है.यह राशि कहां और क्यों खर्च की गयी, इनके जवाब आना अभी बाकी हैं.

उदाहरण के लिए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के हुए विशेष ऑडिट में की मुख्य आपत्ति वर्ष 2016-2022 के दौरान 142.52 करोड़ की उत्तर पुस्तिकाओं की खरीदी केवल एक निविदा दाता से कराने पर है. इस बारे में विश्वविद्यालय ने महालेखाकार को बताया कि जेम पोर्टल के जरिये नियमानुसार खरीद की गयी, लेकिन यह खरीद किस नियम के अनुसार की गयी? इसके साक्ष्य विश्वविद्यालय ने महालेखाकार को नहीं दिये. पाटलिपुत्र विवि में बिना नियमावली के 4.5 करोड़ की पुस्तकों की खरीद पर आपत्ति है. साथ ही यहां 2.42 करोड़ की राशि का अग्रिम समायोजन नहीं हो सका है.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विवि में 1.60 करोड़ के प्रश्नपत्र एवं 31 लाख की उत्तरपुस्तिकाएं बिना टेंडर के खरीदी गयीं. विश्वविद्यालय इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दिया है. इसी विश्वविद्यालय ने 3.7 करोड़ की राशि का सामंजन अभी भी बाकी है. ललितनारायण मिथिला विवि में 1.45 करोड़ की अग्रिम राशि का हिसाब-किताब बाकी है. यह हिसाब-किताब सेवानिवृत कर्मियों में अग्रिम भुगतान से संबंधित है. साथ ही यहां 18.27 लाख रुपये के कम्प्यूटर बिना जेम पोर्टल के खरीदे गये. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि में 47 लाख रुपये की राशि का सामंजन पांच सालों से बाकी है. साथ ही यहीं पर कम्प्यूटर खरीदी में 41 लाख से अधिक के जीएसटी का अनियमित भुगतान किया. यहां जीएसटी का भुगतान उस समय की खरीदी के लिए हुआ, जब जीएसटी का प्रावधान ही नहीं था. भूपेंद्र नारायण िमंडल विवि में 5.5 करोड़ का सामंजन बाकी है. जेपी विश्वविद्यालय में सामग्री खरीद में अनियमितता का सवाल उठाया गया. विवि ने कोई जवाब नहीं दिया.

ऑडिट रिपोर्ट की अन्य खास आपत्तियां

– वेतन सत्यापन के बिना भुगतान

– यूएमआइएस के क्रियान्वयन में गड़बड़ी

-कांट्रेक्ट / आउट सोर्सिंग संस्था को लाभ देना

-स्थायी संपत्ति की सूचना बही खाता न होना

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