राजेश कुमार ओझा
पटना. मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी यूनिवर्सिटी (Maulana Mazharul Haque Arabic & Persian University) में करोड़ों रुपए के वित्तिय घोटाले का मामला सामने आया है. वर्ष 2014 से यह सब कुछ चल रहा था. लेकिन, वर्तमान कुलपति मोहम्मद प्रो. कुदुस ने रविवार को कुलाधिपति और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसका खुलासा किया. उन्होंने अपने पत्र में पूर्ववर्ती कुलपति मोहम्मद एजाज अहमद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिना वित्तीय स्वीकृति के विश्वविद्यालय में 40 लोगों को नौकरी पर रख लिया. इसके साथ ही उन्होंने राशि को भी डायवर्ट कर वेतन मद में छह करोड़ रुपए निकालने का काम किया है. इसके साथ ही छह प्रतिशत अधिक देकर कुलपति ने ऑउटसोर्सिंग पर गार्ड रख लिए. कॉपी की छपाई की कीमत भी 07 रुपया से बढ़ाकर 16 रुपया कर दिया.
बिना स्वीकृति के रख लिए कर्मचारी
एमएमएचएपीयू (Maulana Mazharul Haque Arabic & Persian University)के तत्कालीन वीसी एजाज अहमद ने वर्ष 2014-2015 में बिना वित्तीय स्वीकृति के ही विश्वविद्यालय के 40 लोगों की बहाली कर ली. तीन वर्षों तक तो सरकार के पास से इनका वेतन मद में आधा- अधूरा वेतन आता रहा. लेकिन, वित्तीय स्वीकृति नहीं रहने के कारण सरकार ने पैसा देना बंद कर दिया. इसके बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय के आंतरिक स्रोतों से पैसा निकालकर सैलरी देने लगे. इसके अलावा विवि में 23 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मियों को भी इंटरनल फंड से राशि दी गई है. शिक्षा विभाग की ओर से कुलपति को ऐसा करने से रोका भी गया. शिक्षा विभाग का कहना है कि नियुक्ति में जो प्रक्रिया अपनायी गयी, वह सही नहीं थी.
छह प्रतिशत अधिक देकर रखे गए ऑउटसोर्सिंग पर गार्ड
एमएमएचएपीयू (Maulana Mazharul Haque Arabic & Persian University) में छह प्रतिशत ज्यादा देकर गार्ड रखे गए. एमएमएचएपीयू के वर्तमान कुलपति मोहम्मद कुदुस की ओर से सीएम को लिखे पत्र के बाद इसका खुलासा हुआ. प्रभारी कुलपति के पद पर रहते हुए सुरेंद्र प्रताप सिंह ने इसका टेंडर दिया था. सूत्रों का कहना है कि मोहम्मद कुदुस को कार्य कर रहे 45 ऑउटसोर्सिंग गार्ड के बदले 80 का वेतन देने को कहा जा रहा था. मोहम्मद कुदुस ने इसको पकड़ा और इसकी शिकायत सीएम और शिक्षा मंत्री से कर दी. मोहम्मद कुदुस ने जांच में पाया कि बिना वित्तीय स्वीकृति के विश्वविद्यालय से गार्ड के नाम पर ज्यादा पैसा लेकर उनको कम भुगतान किया जा रहा है. इसी प्रकार बिना सिंडिकेट के स्वीकृति के परीक्षा की कॉपी की छपाई की कीमत भी तत्कालीन कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह ने 07 रुपये से बढ़ाकर 16 रुपये कर दिया. राज्य सरकार इसकी भी जांच कर रही है.
पटना के मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय (Maulana Mazharul Haque Arabic & Persian University) में टेंडर घोटाला मामले में लगातार सवालों के घेरे में आ रहे LNMU के आरोपी वीसी एसपी सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी सफाई देते हुए कहा कि मुझे इस मामले में साजिश के तहत फंसाया गया है. उन्होंने इस मामले में प्रो कुद्दुस के खिलाफ कोर्ट जाने की बात भी कही है. उन्होंने प्रो कुद्दुस के आरोपो को झूठ और मनगढ़ंत बताया है. उन्होंने कहा कि मेरे राज्य से बाहर रहने के समय प्रो कुद्दुस ने कार्य करना शुरू किया और बिना प्रभार लिए विश्वविद्यालय में काम करने लगे. एसपी सिंह (SP Singh) ने टेंडर में गड़बड़ी, कॉपी खरीद मामले को लेकर अनभिज्ञता जताई है और कहा कि कार्य लेने और बिल का भुगतान कुद्दुस के द्वारा किया गया. अगर गड़बड़ी थी तो टेंडर रद्द कर देना चाहिए था. बेस्ट वीसी का अवार्ड पूर्व निर्धारित था, एक दिन पहले 22 नवम्बर को आरोप लगाना साजिश का हिस्सा लगता है. उन्होंने कहा कि मैं प्रो कुद्दुस के खिलाफ न्यायालय जाऊंगा.