पटना. 36 घंटे का लोक आस्था का यह निर्जला व्रत सोमवार से शुरु हो जायेगा. कल यानि सोमवार को नहाय-खाय (Nahay Khay) से यह व्रत शुरु होगा. हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से शुरू होता है. चार दिनों के इस महापर्व में नहाय-खाय (Nahay Khay) के अगले दिन खरना होता है जिसका काफी महत्व है. यह पहला दिन होता है जिस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं. शाम के वक्त गुड़ से बनी खीर खाती है. खीर मट्टी के चूल्हे पर बनाई जाती है. भोग लगाने के बाद इस प्रसाद का वितरण होता है. घर-घर जाकर लोग इसे खाते हैं. ऐसी पंरपरा है कि छठ के बाद वाले प्रसाद से खरना के दिन का प्रसाद का काफी महत्व है.
पौराणिक कथाओं में छठ
पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है. छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं. इसके अलावा संतानों की लंबी आयु के लिए महिलाएं यह पूजा करती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को यह व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दी थी. दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया. तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) का रखने के लिए कहा.
नहाय-खाय के साथ इन नियमों का व्रती करते हैं पालन
– नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए.
– साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता.
– नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं.
– घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए.
– मदिरा पान, धुम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें.