पटना. गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण लोगों के जन जीवन को पूरी तरह से अस्त व्यस्त कर दिया है. दियरा के कई गांव बाढ़ में डूब गए है. गंगा के रौद्र रूप ने सबको हैरान कर कर दिया है. राजधानी पटना के शमशान घाट भी बाढ़ में डूब गए हैं. लोगों को अपने परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए पानी में खड़ा रहना पड़ रहा है. इसके साथ ही उनकी जेबों पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहे हैं. पानी बढ़ने के कारण लकड़ी और डोम राजा के भाव बढ़ गए हैं. शमशान घाट पर पानी भर जाने के कारण अन्तिम संस्कार के लिए लाशों की भी कतार लग गई है. इसके साथ ही अन्तिम संस्कार के लिए पहले चार से पांच हजार रुपए खर्च होते थे. वो अब 20 से 25 हजार रुपए लग रहे हैं.
गंगा में बढ़ा जलस्तर तो लाशों की लगी कतार
श्मशान घाटों में पानी भर जाने के कारण पटना के गुलाबी घाटों पर लाशों की लंबी कतार लग गई है. दरअसल, पहले गंगा किनारे भी अन्तिम संस्कार हुआ करते थे. लेकिन, वहां पानी भर जाने के कारण अब सिर्फ घाटों पर ही लाशों का अन्तिम संस्कार हो रहे हैं. यही कारण है कि गुलवी घाट पर लाशों की लंबी कतार लग गई है. अपने चाचा के अन्तिम संस्कार के लिए आए राकेश चौहान ने कहा कि दो घंटा से ज्यादा समय गुजर चुका है. लेकिन अभी तक मेरी बारी नहीं आयी है. राकेश के बगल में खड़े शशी ने कहा कि समय के साथ साथ अब यहां पर लकड़ी और डोम राजा के पैसा भी बहुत बढ़ गए हैं. उनका कहना था कि कोरोना काल से भी ज्यादा ये लोग पैसा वसूल रहे हैं. एक लाश को जलाने में करीब 20 से 25 हजार रुपए लग जा रहे हैं. इधर, श्मशान घाट के बाहर लकड़ी बेचने वाले दुकानदार का कहना है कि गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण लकड़ी नहीं आ रहा है. जो आ रहा है उसके भाव बढ़ गे हैं. यही कारण है कि हम लोगों ने लकड़ी का भाव बढ़ा दिया है. गुलबी घाट पर बने विद्युत शवदाहगृह में पानी घुसने और उससे हुए शार्ट सर्किट के बाद मशीन बंद हो गई. जिसके बाद विद्युत शवदाह गृह को बंद कर दिया गया है. गुलबी घाट पर लोगो की सहायता के लिए नगर निगम के तरफ से विधुत शवदाह गृह का निर्माण कराया गया है. जहां मात्र 300 रु में कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कर सकता है. लेकिन, गुलबी घाट के विद्युत शवदाह गृह में बाढ़ का पानी समा जाने के काऱण शार्ट सर्किट हो गया जिसके कारण शवदाह कर्म पूरी तरह ठप हो गया है.
नाव का बढ़ा किराया
गंगा का लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण पटना के दियारा क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. दियारा के बंगाली टोला, राय हसनपुर जैसे गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं. यहां के लोग विस्थापित होकर अपने सारे समनो को लेकर पटना पहुंच रहे हैं और किसी तरह दिन काटने पर मजबूर हैं. अपने बच्चों, जानवरों और सामान के साथ लोग शहरी इलाकों में सड़क के किनारे अपनी-अपनी जगह बनाने लगे हैं. पटना के लॉ कॉलेज घाट पर सबलपुर दियारा क्षेत्र से आकर ये लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लोग भूखे प्यासे किराए की नाव के सहारे मवेशियों के साथ छोटे-छोटे बच्चों को लेकर पटना पहुंच रहे हैं.बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि अभी भी लगभग 1500 से ज्यादा लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं. पटना जिला प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण नाव वाले मनमाना किराया वसूल रहे हैं.