कचरे के पहाड़ों का ड्रोन सर्वे करायेगा नगर विकास विभाग
नगर विकास एवं आवास विभाग ने सूबे के शहरों में डंपसाइटों पर बने कचरों के पहाड़ का ड्रोन सर्वे कराने का निर्णय लिया है.
कचरे के पहाड़ों का ड्रोन सर्वे करायेगा नगर विकास विभाग
संवाददाता, पटना
नगर विकास एवं आवास विभाग ने सूबे के शहरों में डंपसाइटों पर बने कचरों के पहाड़ का ड्रोन सर्वे कराने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य इन डंपसाइटों का स्थानीय पर्यावरण पर पड़ रहे असर को समझना और उसे दूर करना है. इसके लिए तकनीकी रूप से सक्षम और अनुभवी एजेंसियों का पैनल तैयार किया जा रहा है. जुलाई में पैनल तैयार कर अगले महीने से इस पर काम शुरू होने की उम्मीद है. चयनित एजेंसी ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से अपशिष्ट की मात्रा का आकलन कर विभाग को रिपोर्ट करेगी.
प्रोसेसिंग कर पुन: इस्तेमाल का होगा प्रयास
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक डंप साइटों के सर्वेक्षण के उपरांत उपलब्ध कचरे की मात्रा के हिसाब से उसकी प्रोसेसिंग कर नष्ट किये जाने या पुन: इस्तेमाल का प्रयास होगा. इसके लिए निकायों में कचरा प्रोसेसिंग की इकाइयां लगायी जा सकती हैं. कई राज्यों में नगर निकाय कचरे की प्रोसेसिंग कर उससे अच्छी कमाई कर रहे हैं. स्वच्छता सर्वे में हमेशा टॉप पर रहने वाला इंदौर शहर कचरे से गैस और रि-साइक्लिंग कर खाद तैयार कर उसको बेच रहा है, जिससे करोड़ों रुपये की आमदनी हो रही है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने हाल ही में अपने कई अफसरों को आवास योजना के सर्वेक्षण को लेकर दूसरे राज्यों में भेजा था. ठोस कचरा प्रबंधन में भी उनके अनुभव काम आ सकते हैं.
पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम कर रहे पैदा
दरअसल डंपसाइटों पर वर्षों से फेंके जा रहे कचरों में जैविक, औद्योगिक और नष्ट न होने वाली सामग्रियों का मिश्रण होता है, जो पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा करता है. लैंडफिल स्थल अक्सर मिट्टी और भूजल के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं. संग्रहित कचरे में सीसा और पारा जैसे भारी पदार्थ आस-पास की मिट्टी और पानी में फैल जाता है. वहीं, लैंडफिल साइटों से निकलने वाले कचरे से उत्पन्न मीथेन कभी-कभी विस्फोट और आग का कारण बन जाता है. यह पक्षियों के प्रवास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है. लैंडफिल साइटों से भोजन प्राप्त करते वाले पक्षी प्लास्टिक, एल्युमिनियम, जिप्सम और अन्य सामग्री निगल जाते हैं, जो घातक साबित हो सकते हैं.
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