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बिहार स्वास्थ्य विभाग में 4500 पदों पर निकली वैकेंसी रद्द, जानें किन कारणों से हो रहा था विरोध

बिहार सरकार ने आखिरकार उस वैकेंसी को रद्द कर दिया है जिसमें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कोई पद नहीं था. इसका लगातार विरोध हो रहा था. अब जाकर वैकेंसी रद्द करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी गयी है.

By Ashish Jha | March 13, 2024 9:14 AM

पटना. स्वास्थ्य विभाग ने आखिरकार 4500 पदों के लिए जो वैकेंसी निकाली थी, उसे रद्द कर दिया है. इस वैकेंसी का लगातार विरोध हो रहा था. स्वास्थ्य विभाग ने कुछ दिन पहले ही ये वैकेंसी निकाली थी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयी इस वैकेंसी में सामान्य श्रेणी के लिए एक भी पद नहीं था. इसको लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ था. लगातार इसका विरोध हो रहा था. जारी विवाद के बीच अब बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से इस संबंध में जानकारी दी गई है कि इस वैकेंसी को रद्द कर दिया गया है. इस संबंध में बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है.

अधिसूचना जारी

बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जारी नोटिस में लिखा गया है कि कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के 4500 रिक्त पदों के विरुद्ध प्रकाशित विज्ञापन(03/2024 PR. No. 019305 (B&C) 2023-24) को अपरिहार्य कारणवश रद्द कर दिया गया है. अब इन पदों पर भर्ती फिर से शुरू होगी या नहीं इसके बारे में आधिकारिक वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर कुछ दिनों बाद सूचना जारी की जाएगी. इस वैकेंसी के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को यह सलाह दी गयी है कि वो समय- समय पर आधिकारिक वेबसाइट को चेक करते रहें.

जेनरल कोटा के लिए नहीं था एक भी पद

जिन 4500 पदों पर वैकेंसी निकली थी उसमें जेनरल कोटा के लिए एक भी पद नहीं था. इसमें ईबीसी के लिए 1345, ईबीसी महिला के लिए 331, बीसी के लिए 702, बीसी महिला के लिए 259, एससी के लिए 1279, एससी महिला के लिए 230, एसटी के लिए 95, एसटी महिला के लिए 36, ईडब्ल्यूएस के लिए 145, ईडब्ल्यूएस महिला के लिए 78 सीटें थीं.

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30 अप्रैल तक इसके लिए करना था आवेदन

4500 पदों पर निकली बहाली में आवेदन की अंतिम तारीख 30 अप्रैल थी. 32 हजार वेतन और 8 हजार रुपया इंसेंटिव सहित कुल मिलाकर 40 हजार मिलने वाले थे. वैकेंसी आने के साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया. इसको लेकर सियासत शुरू हो गयी. ट्विटर पर भी ट्रेंड होने लगा था- #बिहारसवर्ण_MLAकब_बोलोगे. बीजेपी की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया था, लेकिन जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा था कि जिस स्तर पर भी सुधार की जरूरत होगी उसमें सुधार किया जाएगा. आखिरकार सरकार ने इस वैकेंसी को रद्द कर के विवाद को खत्म किया.

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