संवाददाता, पटना: यूजीसी ने 2024-25 के लिए फीस रिफंड पॉलिसी जारी कर दी है. अब सभी विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक सीट छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की पूरी फीस लौटानी होगी. वहीं, 31 अक्तूबर तक सीट छोड़ने पर संस्थान प्रोसेसिंग फीस के नाम पर मात्र 1000 रुपये काट सकते हैं. नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर जुर्माना से लेकर मान्यता तक रद्द करने का प्रावधान है. यूजीसी के सचिव प्रो मनीष जोशी ने राज्यों और विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी है.
यूजीसी काउंसिल की 15 मई की बैठक में फीस रिफंड पॉलिसी-2024 का प्रस्ताव पास हुआ था. इसके मुताबिक 30 सितंबर तक यदि छात्र दाखिला लेने के बाद सीट छोड़ता है या माइग्रेशन करवाता है, तो उसकी सारी फीस वापस की जायेगी. साथ ही मूल प्रमाणपत्र भी लौटाना होगा. वैसे मूल प्रमाणपत्र जमा नहीं कराना होेगा. केवल माइग्रेशन ही जमा लिया जायेगा. यदि कोई शिक्षण संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है, तो छात्र या अभिभावक यूजीसी को सीधे शिकायत भेज सकते हैं. इसके साथ ही यूजीसी ने कहा कि जिन संस्थानों में एडमिशन प्रक्रिया 31 अक्तूबर के बाद तक भी जारी रहती है, तो एडमिशन की अंतिम तिथि नोटिफाइ होने से 15 दिन पहले आवेदन करने वाले छात्रों की 100 प्रतिशत फीस वापस करनी होगी.इन सभी जानकारियों को करनी हो सार्वजनिक
यूजीसी ने यूनिवर्सिटियों को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में एडमिशन से लेकर फीस तक की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए. कोर्स, एडमिशन शेड्यूल, यूनिवर्सिटी नियम, फीस स्ट्रक्चर, फीस रिफंड पॉलिसी, स्पोर्ट्स फैसिलिटी, हॉस्टल डिटेल्स, प्लेसमेंट के बारे में हर जानकारी स्टूडेंट्स को मिलनी चाहिए. यूनिवर्सिटी की क्या रैंकिंग है, यह बताना भी जरूरी है. जो एडमिशन फॉर्मूला तैयार किया जायेगा, उसे बदला नहीं जा सकता है. जरूरी संपर्क नंबर, वेबसाइट एड्रेस, यूनिवर्सिटी लोकपाल के बारे में भी स्टूडेंट्स को जानकारी देनी होगी.
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