Vat Savitri 2021: वट सावित्री पूजा कल, बिहार में कोविड गाइडलाइन्स का पालन कर सुहागिन करेंगी बरगद की पूजा, जानें तैयारी
10 जून को वट सावित्री पर्व है. सनातन धर्म में इस पर्व की काफी महत्ता है. सुहागन महिलाएं बिहार समेत कई अन्य राज्यों में इसे मनाती है. कालांतर से मिथिला क्षेत्र में पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ महिलाएं वट सावित्री की पूजा करती आयी है. महिलाएं अभी से इस पर्व की तैयारी में जुट गयी हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री की पूजा करने से पति की लंबी उम्र के साथ-साथ परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है. वट सावित्री पूजा में महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ चक्कर लगाकर बरगद पेड़ की विधिवत पूजा करती हैं. इस पूजा में खासतौर से मरीक समुदाय की खास भूमिका होती है.
10 जून को वट सावित्री पर्व है. सनातन धर्म में इस पर्व की काफी महत्ता है. सुहागन महिलाएं बिहार समेत कई अन्य राज्यों में इसे मनाती है. कालांतर से मिथिला क्षेत्र में पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ महिलाएं वट सावित्री की पूजा करती आयी है. महिलाएं अभी से इस पर्व की तैयारी में जुट गयी हैं.
पौराणिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री की पूजा करने से पति की लंबी उम्र के साथ-साथ परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है. वट सावित्री पूजा में महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ चक्कर लगाकर बरगद पेड़ की विधिवत पूजा करती हैं. इस पूजा में खासतौर से मरीक समुदाय की खास भूमिका होती है.
मरीक समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से हिंदू धार्मिक कार्यक्रमों में प्रयुक्त होने वाले बांस की सामग्रियों के निर्माण से जुड़े हुए हैं. ये लोग हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में बांस से निर्मित डलिया, कोनिया, सूप, पंखा सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण करती हैं. जिससे इनकी आजीविका चलती है. वहीं दूसरी ओर हिंदू पर्व मनाने वाली महिलाओं को अपने त्योहार के लिए आसानी से यह सामग्रियां उपलब्ध हो जाती है.
इस बार भी आगामी 10 जून को वट सावित्री पर्व मनाई जानी है. जिसको लेकर इस समुदाय के लोग अभी से ही इस त्योहार में प्रयुक्त होने वाले सामग्री पंखा आदि की निर्माण में जुटे हुए हैं. हालांकि इनके व्यवसाय पर भी कोरोना का असर साफ साफ देखा जा रहा है.
सेवकी देवी, रंजीत मरीक बताते हैं कि लॉक डाउन का असर हमारे पारिवारिक जीवन पर इस कदर हुआ है कि हम लोग बमुश्किल दो जून की रोटी का इंतजाम कर पाते हैं. लॉक डाउन से पूर्व हिंदू आस्थाओं के मनाये जाने वाले पर्व के लिए बांस से बनायी गयी सामग्रियों की काफी मांग थी. जिससे हम लोगों का दो जून की रोटी आसानी से जुगाड़ हो जाता था. परन्तु इन दिनों जहां बांस अत्यधिक महंगी हो गई है. उस मुताबिक उससे बनाये गये सामान की मांग घट गई है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan