कुलपतियों ने माना राज्यपाल का आदेश, KK Pathak की बैठक का किया बहिष्कार
पटना में बुधवार को शिक्षा विभाग की अहम बैठक थी. यह बैठक विश्वविद्यालयों में लंबित परीक्षा की समीक्षा को लेकर बुलाई गई थी. लेकिन इस बैठक में राजभवन का आदेश मानते हुए कोई भी कुलपति शामिल नहीं हुए.
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव KK Pathak को बड़ा झटका लगा है. शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने को लेकर चल रही सरगर्मी के बीच कुलपतियों ने आखिरकार राज्यपाल सह कुलाधिपति के दिशा-निर्देशों का ही पालन किया. राज्यपाल द्वारा जारी निर्देश के बाद विश्वविद्यालयों के कुलपति बुधवार को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे. यहां तक कि मगध और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को छोड़कर किसी अन्य विश्वविद्यालय ने अपने नाम से एक भी प्रतिनिधि तक नहीं भेजा.
नहीं पहुंचे कोई भी कुलपति
बुधवार को होने वाली बैठक को लेकर शिक्षा विभाग के अफसर ठीक 11 बजे सचिवालय स्थित मदन मोहन झा स्मृति सभागार में पहुंच गये थे. जहां सभी अधिकारी साढ़े 12 बजे तक कुलपतियों के आने का इंतजार करते रहे. लेकिन कोई भी कुलपति बैठक में नहीं पहुंचे. केवल एक विश्वविद्यालय कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय ने अपने कुल सचिव के साथ परीक्षा नियंत्रक को भेजा. वहीं, मगध विश्वविद्यालय से केवल परीक्षा नियंत्रक आये.
इस तरह विश्वविद्यालयों के केवल तीन प्रतिनिधियों के साथ शिक्षा विभाग के आधा दर्जन से अधिक अफसरों ने बैठक की. नाम मात्र के लिए हुई इस बैठक की अध्यक्षता उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने की. इस दौरान डिप्टी डाइरेक्टर दीपक कुमार और उनके कुछ सहयोगी मौजूद रहे.
KK Pathak भी नहीं पहुंचे मीटिंग में
इस बैठक की अध्यक्षता शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव KK Pathak ही करने वाले थे. लेकिन विश्वविद्यालय प्रतिनिधियों की समुचित और सक्षम पदाधिकारियों की नामौजूदगी की वजह से वह बैठक में नहीं आये. बैठक में परीक्षा सत्रों के संदर्भ में चर्चा की जानी थी. उच्च शिक्षा निदेशक ने उपस्थित दो विश्वविद्यालयों के तीन प्रतिनिधियों से चर्चा की और जरूरी दिशा निर्देश दिये.
राजभवन ने बैठक में जाने से किया था मना
दरअसल, शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों की लंबित परीक्षा की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई थी. इसमें कुलपतियों से लेकर परीक्षा नियंत्रक तक को बुलाया गया था. इस बैठक में शामिल होने के लिए जब कुछ कुलपतियों और कुल सचिवों ने राजभवन से अनुमति मांगी तो दो टूक कहा था कि शिक्षा विभाग की इस बैठक में नहीं जाना है. जिसके बाद से यह बैठक शिक्षा से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में चर्चा का विषय बनी हुई थी.
शिक्षा विभाग ने कुलपतियों को दी थी हिदायत
वहीं, जब राजभवन ने कुलपतियों को बैठक में शामिल होने से मना किया तो शिक्षा विभाग की तरफ से पूर्णिया विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय को लिखे पत्र में कहा था कि इस बैठक में भाग लेना अनिवार्य है. शिक्षा विभाग का यह निर्देश सभी विश्वविद्यालयों के लिए भी था. विश्वविद्यालयों को हिदायत दी गयी थी कि अगर वह बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो उन्हें सख्त कार्यवाही की जायेगी. शिक्षा विभाग की इस सख्त हिदायत के बाद भी कुलपतियों ने बैठक से दूरी बना ली.
दो और तीन मार्च के सेमिनार पर संकट
दो और तीन मार्च को शिक्षा विभाग की तरफ से कुलपतियों, कुल सचिवों और दूसरे अधिकारियों को एक उन्नयन कार्यक्रम में बुलाया गया है. राज्यपाल सह कुलाधिपति ने उस सेमिनार में भी कुलपतियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि वहां भी नहीं जाना है. बात साफ है कि बुधवार के हालात को देखते हुए लग रहा है कि दो और तीन मार्च की सेमिनार में शायद ही कोई कुलपति या कुल सचिव पहुंचे.
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