बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बैंकों को आईना दिखाया. उन्होंने कहा कि गड़बड़ करने वालों को बैंक से आसानी से ऋण मिल जाता है, लेकिन जरूरतमंदों को सौ चक्कर लगाने के बाद भी ऋण नहीं मिलता है. इसके लिए कहीं- न- कहीं बैंक के लोग भी जिम्मेदार हैं. राज्य के किसानों को ऋण के लिए या तो नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) के पास जाना पड़ता है या सूदखोरों के पास. यह एक तरीके से बैंक की लापरवाही को दर्शाता है. कृषि राज्य सरकार की प्राथमिकता में है. कृषि और इससे जुड़े सेक्टर को प्रोत्साहन देने के लिए बैंकों को इस क्षेत्र में ऋण प्रवाह बढ़ाना होगा. यह राज्य के साथ-साथ बैंकों की हित में भी है. बैंक की समस्या के समाधान के लिए सरकार तत्पर रहती है.
वित्त मंत्री बुधवार को नाबार्ड का बिहार स्टेट फोकस पेपर 2023-24 जारी करने बाद बैंक अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य के 38 जिलों में 28 जिलों साख-जमा अनुपात कम है और सात जिलों की स्थिति तो काफी कम है. वित्त मंत्री ने कहा कि बिहार के पिछड़नेपन के लिए यहां के लोग नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और भौगोलिक कारक दोषी हैं. बिहार के लोग काफी मेहनती हैं और अपने मेहनत के बल पर कृषि समेत सभी क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं. केंद्र सरकार भी समावेशी विकास की बात कर रही है, लेकिन बिहार को आगे बढ़े बिना देश कैसे आगे बढ़ जायेगा. उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक आबादी घनत्व बिहार में है. रिजर्व बैंक के प्रभात कुमार और एसबीआइ के जीएम मनोज गुप्ता ने भी संबोधित किया.
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ एस सिद्धार्थ ने बैंक नियामक रिजर्व बैंक समेत सभी बैंकों को घेरा. उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों से ही कम दर पर जमा लेकर बैंक,एनबीएफसी को कर रहा है फाइनेंस. एनबीएफसी किसानों को 18-24% की ऊंची ब्याज दर दे रहा है ऋण. सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि यह एक तरह से किसानों को शोषण नहीं तो क्या है? डाॅ सिद्धार्थ ने कहा कि रिजर्व बैंक को देश में प्रति व्यक्ति ऋण में एकरूपता लाने की दिशा में काम करना चाहिए. राज्य के जीडीपी में कृषिगत एलाइड सेक्टर यानी डेयरी,फिशरीज और लेयर फार्मिंग आदि का योगदान 11% है, लेकिन इस सेक्टर को ऋण देने में बैंक आनाकानी करता है.
कृषि विभाग के सचिव डाॅ एन सरवन ने कहा कि कुछ साल पहले तक बिहार के कृषि सेक्टर के ऋण का औसत राष्ट्रीय औसत 42% के बराबर था, लेकिन अब यह कम होकर 35% हो गया है, जो चिंता का विषय है.उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीन कृषि रोड मैप का सफलतापूर्वक संचालित किया है. अब चौथे कृषि रोड मैप की तैयारी अंतिम चरण में हैं.इसकी सफलता बैंकों की सहयोग पर निर्भर करता है.
Also Read: कोविड के नये स्ट्रेन को लेकर अलर्ट मोड में बिहार सरकार, अस्पतालों को दिए गए जरूरी निर्देश
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ सुनील कुमार ने कहा कि राज्य के 28 जिले क्रेडिट डिफिशिएंट जिला के रूप में वर्गीकृत,जहां प्रति व्यक्ति ऋण उपलब्धता रुपये 6000 से कम है.यह एक तरह से चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि राज्य में ऋण प्रवाह कम है.2023-24 के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कुल 2.03 लाख करोड़ के ऋण प्रवाह का अनुमान है. जिसमें कृषि क्षेत्र के लिए ऋण क्षमता का अनुमान लगाया गया है 94,150 करोड़, जिसमें से अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण के लिए क्रमशः रु 53,111 करोड़ और रु 41,039 करोड़ की ऋण संभाव्यता दरसायी गयी है.